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Lead Story
ICMR ने कहा - प्लाज्मा थैरेपी से हो सकते है जानलेवा दुष्परिणाम
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ICMR ने कहा - प्लाज्मा थैरेपी से हो सकते है जानलेवा दुष्परिणाम

Swadesh Digital
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3 May 2020 6:20 PM IST

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच प्लाज्मा थैरेपी चर्चा के केंद्र में है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कहा है कि प्लाज्मा थैरेपी 'सिल्वर बुलेट' टेस्ट नहीं है और ठोस वैज्ञानिक रिसर्चों के बिना इसके इस्तेमाल की सिफारिश करना मरीजों को फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान हो सकता है।

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव के एक अंग्रेजी अखबार के लेख में स्पष्ट किया गया है कि आईसीएमआर अभी इस पर शोध कार्य कर रहा है और यह "ओपन लेबल, रेंडमाइज्ड, कंट्रोल्ड ट्रायल" है, जो इस थैरेपी की सुरक्षा तथा प्रभाविता के लिए किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इस थैरेपी से कुछ मरीजों में बुखार, खुजली, फेंफड़ों को नुकसान और गंभीर जानलेवा दुष्परिणाम हो सकते हैं। अभी तक केवल 19 मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी के तीन लेख प्रकाशित हुए हैं और इतने कम मरीजों की संख्या के आधार पर यह सिफारिश नहीं की जा सकती है । यह कहना भी सही नहीं होगा कि यह थैरेपी सभी मरीजों के लिए समान रूप से कारगर साबित होगी।

दरअसल महाराष्ट्र में एक मरीज की प्लाज्मा थैरेपी के दौरान मौत हो जाने से इसकी सटीकता को लेकर सवालिया निशान खड़े हो गए है और स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसके बारे में स्पष्ट कर दिया है कि प्लाज्मा थेरेपी को विश्व में कहीं भी मान्य उपचार के तौर पर पुष्टि नहीं हुई है और यह सिर्फ ट्रायल के तौर पर ही की जा रही है तथा दिशा-निदेर्शों का पालन किए बिना यह घातक साबित हो सकती है।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि देश में कई स्थानों पर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कोरोना मरीजों के इलाज के लिए हो रहा है, लेकिन इसका उपयोग आईसीएमआर के दिशा- निदेर्शों के तहत ही होना चाहिए और इसके लिए "ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया' से मंजूरी लेनी जरूरी है। इसी के बाद ही यह प्रकिया शुरू की जानी है। गौरतलब है कि अभी तक आईसीएमआर ने कोरोना के 976363 नमूनों की जांच की है।

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