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ऑयल और शुगर बोर्ड रखेगा आपके समोसे और चाय पर नज़र...
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सरकार का सेहत पर ध्‍यान: ऑयल और शुगर बोर्ड रखेगा आपके समोसे और चाय पर नज़र...

Deepika Pal
|
14 July 2025 8:45 PM IST

ऑयल और शुगर बोर्ड के माध्यम से स्वास्थ्य संदेशों को स्टेशनरी में शामिल करना दफ्तरों में हेल्दी फूड उपलब्ध कराना तथा आम ज़िन्दगी में इसमें कम वसा वाला खाना की उपलब्धता सीमित करना सभी शामिल है।

Health News: बढ़ते मोटापे , मधुमेह , कोलेस्ट्रॉल और टॉक्सिक जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक अनूठी योजना बनाई है। स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के नेतृत्व में स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे समोसा, कचौड़ी, फ्रेंच फ्राइज, वड़ा पाव जैसे भारतीय नाश्तों पर नज़र रखने के लिए ऑयल और शुगर बोर्ड लगायें जो यह हर वक्त बताएगा कि दिन भर खाने वाले आपके समोसे ,चाय में कितनी तेल और चीनी है ।

आइए जानते है। कि क्या है ऑयल और शुगर बोर्ड योजना?

दरअसल स्वास्थ्य मंत्रालय चाहता है कि लोगों को स्वास्थ्य और उनके हेल्थी खाने के प्रति जागरूक करने के लिए दफ्तरों, स्कूलों और सार्वजनिक संस्थानों में खाने की वस्तुओं में छुपे हुए तेल और चीनीकी मात्रा की साफ़-साफ़ जानकारी दी जाए। इसके लिए एक बोर्ड या डिजिटल पोस्टर लगाया जाए जो लोगों को यह जानकारी देता रहे और उन्हें स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करता रहे ।

यही नहीं ऑयल और शुगर बोर्ड के माध्यम से स्वास्थ्य संदेशों को स्टेशनरी में शामिल करना दफ्तरों में हेल्दी फूड उपलब्ध कराना तथा आम ज़िन्दगी में इसमें कम वसा वाला खाना, फल और सब्जियां ज्यादा, मीठे पेय और हाई फैट स्नैक्स की उपलब्धता सीमित करना सभी शामिल है। आयल और शुगर बोर्ड हेल्थ बोर्ड में सुझाव के तहत ये भी बताया जाएगा कि रोजमर्रा की जिंदगी में सीढ़ियों के उपयोग को बढ़ाना, काम के दौरान भी कैसे छोटे-छोटे एक्सरसाइज ब्रेक लेना और दफ्तर में वॉकिंग रूटीन बना कर कैसे उसे शामिल करना है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के अनुसार, ये हेल्थ बोर्ड कैफेटेरिया, लॉबी, मीटिंग रूम और अन्य सार्वजनिक स्थान पर लगाए जाएँगे और जिसका उद्देश्य यह रहेगा कि इस भगाती दौड़ती ज़िंदगी में कर्मचारी और आम नागरिक रोजमर्रा की आदतों में सुधार लायें और हेल्दी खाना अपनाएं।

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि सभी मंत्रालय अपने लेटरहेड, लिफाफे, नोटपैड, फोल्डर आदिपर भी स्वास्थ्य संबंधी स्लोगन और संदेश छापें, जैसे- 'कम तेल, कम चीनी - सेहत के लिए अच्छी जिंदगी।' 'रोज चलें कुछ कदम, सेहत रहे हरदम।' इस तरह के उपाय लोगों को रोजाना याद दिलाने का एक तरीका होगा कि लोग सजग रहें।

बता दें कि स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलीला श्रीवास्तव ने 21 जून को एक पत्र लिखकर चिंता जताई थी कि भारत में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट अनुसार, शहरी इलाकों में हर पांच में से एक वयस्क मोटापे से ग्रसित है। वहीं बच्चों में भी मोटापा काफ़ी तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी बड़ी वजह है गलत खानपान और कम शारीरिक गतिविधि है । जबकि लैंसेट के 2025 के अध्ययन के अनुसार, भारत में मोटे वयस्कों की संख्या 2021 में 18 करोड़ थी, जो 2050 तक बढ़कर 44.9 करोड़ हो सकती है। अगर इसे नहीं रोका गया तो भारत विश्व में मोटापे का दूसरा सबसे बड़ा बोझ उठाने वाला देश बन सकता है ।

उल्लेखनीय है कि मोटापे के कारण तमाम बीमारियां होती है, जिनमें डायबिटीज ,हाई ब्लड प्रेशर , हृदय रोग, कैंसर जैसी बीमारियां आम है। इसकी वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है । मोटापे की वजह से चलने-फिरने में परेशानी होती है । जीवन की गुणवत्ता में गिरावट के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक खर्च और कामकाज में कमी भी देखी जाती है ।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जनवरी 2025 को देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह में फिट इंडिया मूवमेंट की बात करते हुए नागरिकों से अपील की थी कि वे तेल की खपत में 10% की कमी करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। उन्होंने अपने कार्यक्रम 'मन की बात' में भी यह संदेश दिया था ।

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