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बुरी फंसी नेहा सिंह, हाई कोर्ट ने नहीं की FIR रद्द, RSS की पोशाक का जिक्र करने पर उठे सवाल, क्या है मामला

बुरी फंसी नेहा सिंह, हाई कोर्ट ने नहीं की FIR रद्द, RSS की पोशाक का जिक्र करने पर उठे सवाल

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बुरी फंसी नेहा सिंह, हाई कोर्ट ने नहीं की FIR रद्द, RSS की पोशाक का जिक्र करने पर उठे सवाल, क्या है मामला

Gurjeet Kaur
|
8 Jun 2024 12:31 PM IST

न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने नेहा सिंह के मामले की सुनवाई की।

मध्यप्रदेश। संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की आजादी का उपयोग विवेकपूर्ण होना चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार एक पूर्ण अधिकार नहीं है, बल्कि उचित प्रतिबंधों के अधीन है। यह बात भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर (Neha सिंह Rathore) को अब समझ आ गई होगी। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने उनके खिलाफ एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका को न सिर्फ खारिज कर दिया बल्कि सोशल मीडिया पर उनके द्वारा डाले गए कंटेंट में RSS की पोशाक का जिक्र करने पर भी सवाल उठाए।

पहले समझिए मामला क्या है ? सीधी पेशाब कांड (Sidhi Peshab Kand) तो याद ही होगा। जिसमें प्रवेश शुक्ला नाम के व्यक्ति ने एक दूसरे व्यक्ति पर पेशाब कर दिया था। इस घटना के बाद मध्यप्रदेश में काफी बवाल हुआ था। नेहा सिंह कहां पीछे रहने वालीं थीं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक कार्टून पोस्ट किया था जिसमें एक व्यक्ति को अर्धनग्न अवस्था में फर्श पर बैठे दूसरे व्यक्ति पर पेशाब करते हुए दिखाया गया था। कार्टून में खाकी रंग की हाफ पैंट भी फर्श पर पड़ी दिखाई गई थी।

अब यह कोई इंतेफ़ाक़ नहीं था। नेहा सिंह ने ऐसा आरोपी प्रवेश शुक्ला के राजनीतिक झुकाव को दर्शाने के लिए किया गया था, जो कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता था। इसके बाद उनपर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

नेहा सिंह के वकील ने एफआईआर रद्द करने की मांग की और तर्क दिया कि आईपीसी की धारा 153 ए के तहत कोई अपराध नहीं बनता है। हालांकि, राज्य ने नेहा सिंह की याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि उनके पोस्ट से तनाव बढ़ गया था।

न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने सवाल उठाया कि, नेहा सिंह द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए कार्टून में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की खाकी शॉर्ट्स का जिक्र करते हुए एक "विशेष विचारधारा" की पोशाक क्यों जोड़ी, जबकि पीड़ित पर पेशाब करने के आरोपी व्यक्ति ने वही पोशाक नहीं पहनी थी।

अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, "चूंकि नेहा सिंह द्वारा ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया कार्टून उस घटना के अनुरूप नहीं था जो घटित हुई थी और अपनी मर्जी से कुछ अतिरिक्त चीजें जोड़ी गई थीं, इसलिए न्यायालय का यह मत है कि यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करते हुए कार्टून अपलोड किया था।

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