< Back
Lead Story
कश्मीर पर पाक के सुर में सुर मिलाने वाले मलयेशियाई PM पार्टी से बाहर
Lead Story

कश्मीर पर पाक के सुर में सुर मिलाने वाले मलयेशियाई PM पार्टी से बाहर

Swadesh Digital
|
29 May 2020 7:13 PM IST

कुआलालम्पुर। मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद को उनकी ही पार्टी बरसातू से बर्खास्त कर दिया गया है। इसके बाद महातिर ने इस कदम को चुनौती देने का संकल्प लिया है। 94 वर्षीय महातिर को उनके बेटे और तीन अन्य वरिष्ठ सदस्यों के साथ गुरुवार को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया। महातिर ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाए थे जिसके बाद उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था।

राजनीतिक तनातनी के बाद महातिर ने फरवरी में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद उनकी पार्टी के सदस्य मोहिउद्दीन यासीन महातिर की आपत्ति के बावजूद प्रधानमंत्री बने। इसके बाद से पार्टी दो खेमों में बंट गई है। महातिर के बेटे मुखरिज महातिर ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में मोहिउद्दीन को चुनौती दी है। वहीं, अध्यक्ष पद के लिए होने वाला चुनाव कोरोना वायरस महामारी के कारण टल गया है।

महातिर और बर्खास्त किए गए चार अन्य नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा, 'बरसातू अध्यक्ष ने बिना किसी वैध कारण के हमें बर्खास्त करने का एकतरफा कदम पार्टी चुनाव को लेकर अपने डर और देश के प्रशासन के इतिहास में सबसे अस्थिर प्रधानमंत्री के रूप में अपनी असुरक्षित स्थिति के कारण उठाया है।' उन्होंने कहा कि यह कदम अवैध है और वे इस कदम को चुनौती देने और यह सुनिश्चित करने के लिए कानूनी कदम उठा सकते हैं कि बरसातू सत्ता के लालची लोगों का हथियार न बनने पाए।

मलेशिया में सत्ता का संकट उस वक्त पैदा हुआ जब महातिर और अनवर इब्राहिम का सत्तारूढ़ 'पैक्ट ऑफ होप' गठबंधन टूट गया। इस गठबंधन ने दो साल पहले नजीब रजाक की सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। इसके बाद महातिर ने इस्तीफा दे दिया जिससे प्रधानमंत्री पद के लिए दौड़ शुरू हुई जिसमें यासीन ने जीत हासिल की। उनके गठबंधन में देश के जातीय मलय मुस्लिम बहुसंख्यकों की संख्या अधिक है।

मलयेशिया के प्रधानमंत्री डॉक्टर महातिर मोहम्मद ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन से जुड़े कई ट्वीट किए थे। इसी संबोधन के दौरान उन्होंने कश्मीर का जिक्र करते हुए ट्वीट किया था, 'म्यांमार में रोहिंग्याओं के ऊपर हो रहे अत्याचार पर विश्व की लाचारी साफ नजर आ रही है और यूएन रेजॉलूशन को लेकर भी सम्मान में कमी आई है। अब, जम्मू और कश्मीर पर यूएन रेजॉलूशन के बाद भी, देश ने (भारत) इस पर धावा बोलकर कब्जा जमा लिया।'

Similar Posts