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यहूदियों के प्रति सहानुभूति के बाद भी बापू नहीं चाहते थे अलग देश, जानें गांधी जयंती पर खास
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Gandhi Jayanti 2024: यहूदियों के प्रति सहानुभूति के बाद भी बापू नहीं चाहते थे अलग देश, जानें गांधी जयंती पर खास

Deepika Pal
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1 Oct 2024 6:57 PM IST

कहा जाता हैं कि,यहूदियों के प्रति सहानुभूति होने के बाद भी गांधी जी कभी नहीं चाहते थे कि, इनके लिए अलग से एक देश बनें उन्होंने इस मांग को खारिज कर दिया था। जानिए क्या वजह रही।

Gandhi Jayanti 2024: जैसा कि, 2 अक्टूबर को भारत देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती मनाई जाने वाली है। इस दिन ही देश के राष्ट्रपिता का गुजरात के पोरबंदर में जन्म हुआ था। इजराइल में जहां इन दिनों युद्ध का माहौल बना हुआ हैं वहीं पर आप जानते नहीं होंगे महात्मा गांधी का संबंध भी यहूदियों के प्रति रहा है।


कहा जाता हैं कि,यहूदियों के प्रति सहानुभूति होने के बाद भी गांधी जी कभी नहीं चाहते थे कि, इनके लिए अलग से एक देश बनें उन्होंने इस मांग को खारिज कर दिया था। जानिए क्या वजह रही।

बापू कभी नहीं चाहते थे यहूदी युद्ध का शिकार हो

कहा जाता हैं कि, बापू सत्य और अहिंसा को धारण करने वाले महापुरुष थे जिन्होंने कभी नहीं चाहा कि, यहूदियों पर अत्याचार और युद्ध हो। भारत इस समय जहां पर इजराइल और लेबनान के बीच चल रहे युद्ध को लेकर बातचीत कर रहा है उस तरह ही महात्मा गांधी जी ने फिलिस्तीन के अरबों और यहूदियों के बीच बंटवारे के प्रस्ताव के विरोध में मतदान कर चुके थे वे कभी नहीं चाहते थे कि, युद्ध की स्थिति बनें।

इतना ही नहीं यहूदियों पर जब हिटलर और नाजियों का अत्याचार काफी बढ़ रहा था तब बापू ने जर्मनी के विरुद्ध हो रहे युद्ध को सही ठहराया था वे कभी नहीं चाहते थे कि, यहूदियों के लिए अलग देश बनें वे हरिजनों के बुरे हालात की वजह से इस तरह की सोच रखते थे।

गांधी जी के लेख से पनपा था विरोध

कहा जाता है कि, महात्मा गांधी जी जब सीमांत प्रदेशों की यात्रा से वापसी करके लौटे थे तब उन्होंने अपनी किताब ‘ हरिजन ‘ में “The Jews” शीर्षक का लेख 26 नवंबर 1938 के दिन लिखा था। इस पर उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा इसे लेकर कहा गया कि,गांधी यहूदियों की बुनियादी समस्या के तह में जाने और उसे पूरी तौर पर समझने में विफल रहे हैं तो दूसरों की राय में उनकी सोच अहिंसा के रास्ते समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान में विश्वास की देन है।

गांधी जी मानते थे कि, यहूदियों के लिए दूसरे देश की कल्पना करना यानि फिलिस्तीन पहले ही अरब फिलिस्तीनियों का घर है दूसरा ब्रिटेन का यहूदियों को फिलिस्तीन में बसाने की घोषणा हिंसक विचार है। गांधी जी की इस विरोध से अलग इजराइल का रवैया आक्रामक होते जा रहा है तो वहीं पर हमले बढ़ते जा रहे है।

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