< Back
Lead Story
LAC सीमा पर साफ देखी जा सकती है चीन की दोहरी चाल
Lead Story

LAC सीमा पर साफ देखी जा सकती है चीन की दोहरी चाल

Swadesh Digital
|
28 May 2020 10:02 PM IST

दिल्ली। चीन ने भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर अपने सुर नरम जरूर किए हैं, लेकिन जमीन पर इससे कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। लद्दाख सेक्टर में गलवान घाटी से पैंगोंग त्सो झील तक चार जगहों पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने डटे हुए हैं। सीमा पर तनाव में कोई कमी नहीं दिख रही है।

दोनों ही सेनाएं अपनी जगह से हिली नहीं हैं। ना ही उनकी संख्या में कोई कमी आई है। अभी यह कहना संभव नहीं है कि यह टकराव कब और कैसे खत्म होगा। इस मामले के जानकार लोगों ने गुरुवार को हिन्दुस्तान टाइम्स को यह जानकारी दी।

एक दिन पहले यानी बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने सीमा पर तनातनी को कमतर बताया था। मंत्रालय की ओर से जोर देकर कहा गया था कि एलएसी पर स्थिति स्थिर और नियंत्रण में है। साथ ही देनों देश विभिन्न स्तरों पर संपर्क में हैं। लेकिन चीनी पक्ष का यह मैत्रीपूर्ण रुख जमीन पर उतरता नहीं दिख रहा है।

टकराव वाले तीन स्थान गलवान घाटी में हैं और चौथा पैंगोंग झील के पास। चीन अपने सैनिकों को यहां भारत के बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण में बाधा डालने के मकसद से लाया है। चीन विशेषकर गलवान नाले पर 60 मीटर लंबे पुल और पैंगोंग झील के पास एक निगरानी पोस्ट का निर्माण रोकना चाहता है।

भारतीय सेना ने टकराव वाले चारों स्थानों पर सैनिकों की संख्या बढ़ाते हुए निर्माण कार्य जारी रखा है। दौलत बेग ओल्डी तक पहुंचने के लिए 255 किलोमीटर रोड के हिस्से के रूप में गलवान पुल का भी निर्माण कर रहा है।

एक भारतीय अधिकारी ने कहा, ''अपने क्षेत्र में सड़क, पुल या हवाई पट्टी बनाने के भारत के अधिकार पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है। इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने का काम जारी है और इसे रोका नहीं जाएगा।'' पिछले सप्ताह पीएम मोदी ने एलएसी पर स्थिति की समीक्षा के लिए पिछले सप्ताह एक हाई लेवल मीटिंग की थी।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीफ ऑफ डिफेंस सर्विसेज जनरल बिपिन रावत विभिन्न स्तरों पर भारतीय प्रयासों की निगरानी कर रहे हैं। उनके रडार पर पश्चिमी सीमा भी है। जहां से रिपोर्ट है कि पाकिस्तान ने पीओके के गिलगित बाल्टिस्तान में सेना की गतिविधि बढ़ाई है।

भारतीय सेना ने यहां चीनी सैनिकों की संख्या और संसाधन के बराबर ताकत लगाई है। भारत लंबे समय तक खिंच सकने वाली तनातनी के लिए तैयार है। सैनिकों का एक अन्य दल तैयार है जो तनातनी वाले स्थानों पर मौजूद सैनिकों को बीच में ब्रेक देने के लिए रिप्लेस करते हैं।

अधिकारियों ने बताया कि दूसरी तरफ चीन ने भी अक्साई चिन इलाके में रक्षापंक्ति को मजबूत किया है। इसने अपने नागरिक और रक्षा इस्तेमाल वाले एयरफील्ड नगरी गुंसा को अपग्रेड किया है। यह एलएसी से 60 किलोमीटर दूर है। यहां चीनी वायु सेना जे11 जेट्स उड़ाते रहे हैं, जिन्हें रूसी सुखोई 27 का चाइनीज वर्जन कहा जाता है। एसएसी से दूसरे नजदीकी एयरपोर्ट यारकंड (320 किमी), होस्टन (240 किमी), काशगर (450 किमी) और कोरला (600 किमी) है।

Similar Posts