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Lead Story
Bangladesh Government Crisis: भारत में भी बन सकते हैं बांग्लादेश जैसे हालत, बीजेपी नेता ने सुझाएं देश को बचाने के उपाय
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Bangladesh Government Crisis: भारत में भी बन सकते हैं बांग्लादेश जैसे हालत, बीजेपी नेता ने सुझाएं देश को बचाने के उपाय

Jagdeesh Kumar
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6 Aug 2024 9:48 AM IST

Bangladesh Government Crisis: पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश इन दिनों राजनीतिक उथल - पुथल से गुजर रहा है। शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत आ गई हैं। जानकारी के मुताबिक वे जल्द ही लंदन को रवाना हो जाएंगी। इधर बांग्लादेश में नई सरकार के गठन की कावजद तेज हो गई है। राजधानी ढाका में प्रदर्शनकारियों ने खूब लूटमार मचाई। मंगलवार को जानकारी सामने आ रही है कि, भीड़ द्वारा अवामी लीग के नेताओं को निशाना बनाने का दौर भी शुरू हो गया है। इसके साथ ही बांग्लादेश में हिंदुओं को टारगेट करके मारा जा रहा है।

पड़ोसी मुल्क में हो रहे इस राजनीतिक उथल पथल में विपक्षी नेताओं के सोशल मीडिया सूखे पड़े हैं। पिछले 24 घंटे में खरगे, राहुल से लेकर जयराम रमेश जैसे कांग्रेस के कोई भी बड़ा नेता एक्स पर कुछ भी नही लिखा जबकि फिलिस्तीन हादसे के समय इन्होंने जमकर ट्वीट किए थे। जिसके बाद अब बीजेपी नेता अजय आलोक ने लिखा - "फ़िलिस्तीन के मुसलमानों पे खुलके दर्द छलकाने वाली प्रियंका गांधी और असदुद्दीन ओवैसी अब बांग्लादेश के हिंदुओ पे मौन व्रत धारण कर लेंगे । एक भी मुसलमान नेता या मौलवी अपील नहीं करेगा कि हिंदुओ को मत मारो ।ये बात देश को समझना पड़ेगा।"

इतना ही नही अजय आलोक ने बांग्लादेश की स्थिति पर चिंता जताते हुए यह भी कहा है कि भविष्य में भारत में भी ऐसी हालत बन सकती है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा - "बांग्लादेश में इस्लामिक तख्ता पलट होते ही हिंदुओ को मारा जाने लगा , घर में घुसे प्रदर्शनकारी , अगर हम नहीं चेते तो 20-30 साल बाद ये दृश्य भारत के राज्यो में भी हो सकता हैं , जनसंख्या नियंत्रण क़ानून ज़रूरी हैं , धर्मांतरण पे और सख़्त क़ानून चाहिए । अब हमारे पूर्व और पश्चिम में इस्लामिक आतंकवाद बिना रोक टोक रहेगा । एक और समस्या"

हालांकि अब मंगलवार को कांग्रेस नेता और सांसद पप्पू यादव ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा -

"बांग्लादेश में तख़्तापलट भारत का नुक़सान, देश की सरकार हिम्मत के साथ हस्तक्षेप करे। ज़िम्मेदारी समझे, सिर्फ़ वोट की राजनीति नहीं,दिल बड़ा कर दक्षिण एशिया के अभिभावक की तरह कूटनीतिक और सामरिक क्षमता दिखाए, जैसा इंदिरा गांधी जी ने 1971 में पूरी दुनिया को दिखाया था।"

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