< Back
Lead Story
हर्षवर्धन लोढ़ा को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दिया झटका, 25000 करोड़ की कंपनी एमपी बिड़ला एम्पायर से बाहर किए गए
Lead Story

हर्षवर्धन लोढ़ा को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दिया झटका, 25000 करोड़ की कंपनी एमपी बिड़ला एम्पायर से बाहर किए गए

Swadesh Digital
|
19 Sept 2020 2:43 PM IST

नई दिल्ली। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हर्षवर्द्धन लोढ़ा पर एमपी बिड़ला समूह की किसी भी इकाई में कोई पद संभालने पर शुक्रवार को रोक लगा दी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हर्षवर्धन लोढ़ा को बिड़ला कॉर्पोरेशन और एमपी बिड़ला ग्रुप की सभी कंपनियाें में सभी पदों से तत्काल प्रभाव से हटाया जाता है। अदालत एमपी बिड़ला एस्टेट के उत्तराधिकार को लेकर एक लंबित मुकदमे पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने लोढ़ा के प्रियंवदा देवी की संपत्ति से किसी तरह का निजी लाभ उठाने पर भी रोक लगा दी। प्रियंवदा, एमपी बिड़ला की दिवंगत पत्नी है। इस संपत्ति के प्रबंधन के लिए अदालत ने एक समिति नियुक्त की है।

अदालत ने लोढ़ा पर समिति के किसी निर्णय या भविष्य में बहुमत से लिए गए ऐसे किसी भी मामले के फैसले में हस्तक्षेप करने से रोक लगा दी है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रियंवदा की संपत्ति से जुड़ा हो। दोनों पक्ष पिछले 16 वर्षों से प्रियंवदा बिड़ला की वसीयत को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। ऐसे में कलकत्ता हाईकोर्ट का यह आदेश बिड़ला परिवार के लिए बड़ी जीत है, क्योंकि वे लंबे समय से प्रियंवदा बिड़ला की वसीयत की कानूनी वैधता को चुनौती देते हुए इसे गलत करार देने के लिए संघर्ष कर रहे थे। प्रियंवदा बिड़ला ने अपनी वसीयत में 25,000 करोड़ रुपये की मालिकाना हक वाली एमपी बिड़ला एम्पायर को अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट आरएस लोढ़ा और उनके दूसरे बेटे हर्षवर्धन लोढ़ा को सौंप दिया था।

कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, हर्षवर्धन लोढ़ा को बिड़ला कार्प के चेयरमैन का पद छोड़ना होगा। इसके अलावा उन्हें एमपी बिड़ला ग्रुप की दूसरी कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में निदेशक का पद छोड़ना होगा, जिनमें विंध्य टेलीलिंक लिमिटेड , बिड़ला केबल्स और यूनिवर्सल केबल्स लिमिटेड शामिल हैं। इससे पहले मई में कलकत्ता हाईकोर्ट ने विंध्य टेलीलिंक और बिड़ला केबल्स में निदेशक के रूप में लोढ़ा की दोबारा नियुक्त को मंजूरी दे दी थी। लोढ़ा रोटेशन से इन पदों से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद बिड़ला परिवार सुप्रीम कोर्ट गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए मामला खारिज कर दिया था कि इसकी सुनवाई कलकत्ता हाईकोर्ट कर रही है।

वहीं लोढ़ा समूह के एक वकील ने कहा कि इस आदेश को चुनौती दी जाएगी। हर्षवर्धन लोढ़ा के वकील देबंजन मंडल ने कहा, "न्यायमूर्ति साहिदुल्लाह मुंशी द्वारा विंध्य टेलिंकलिंक लिमिटेड और बिड़ला केबल लिमिटेड के निदेशक के रूप में हर्षवर्धन लोढा के पुनर्नियुक्ति पर फैसला वैध नहीं प्रतीत होता है। हमारे मुवक्किल का न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है । तत्काल और दीर्घकालिक राहत के लिए फैसले को चुनौती देंगे। "

Similar Posts