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Lead Story
एलिजाबेथ ने जब किया था जलियांवाला बाग का दौरा, देश में बढ़ गया था पारा, हत्याकांड को लेकर थी ये..राय
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एलिजाबेथ ने जब किया था जलियांवाला बाग का दौरा, देश में बढ़ गया था पारा, हत्याकांड को लेकर थी ये..राय

स्वदेश डेस्क
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9 Sept 2022 4:29 PM IST

नईदिल्ली। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन हो गया है। 70 साल तक ब्रितानी हुकूमत की मुखिया रही एलिजाबेथ के निधन पर आज दुनिया भर में लोग उनसे जुडी महत्वपूर्ण घटनाओं को जानना चाह रहे है। ऐसी ही प्रमुख घटनाओं में एक है एलिजाबेथ की जलियांवाला बाग़ की यात्रा। उनकी इस यात्रा की भारत सहित पूरी दुनिया में बेहद चर्चा हुई। इस दौरे को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन भी हुए थे।

दरअसल, ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके उनके पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग आखिरी बार वर्ष 1997 में भारत दौरे पर आए थे। इस दौरान वह पंजाब के दौरे पर थी। तय कार्यक्रम के अनुसार उन्हें अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने जाना था। जिसके लिए उनका काफिला दिल्ली से अमृतसर के लिए रवाना हो गया था। लेकिन बीच रास्ते में ही उनका मन बदला और काफिले ने अपना रास्ता बदल दिया। अब काफिला स्वर्ण मंदिर की तरफ नहीं बल्कि उस जगह जा रहा था, जहां ब्रितानी हुकूमत सबसे क्रूर जनरल की बर्बरता का शिकार हुई हजारों क्रांतिकारियों की आत्माएं आराम कर रही है।

हाँ, आप सही समझे, हम बात कर रहे है जलियावाला बाग की। वहीं जलीय वाला बाग़ जहां वर्ष 1919 में 13 अप्रैल की दोपहर में अंग्रेजों से आजादी की चाह में आगे की रणनीति बनाने के लिए निहत्थे हजारों लोग एकत्र हुए थे। इन बेबस लोगों पर जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलियां बरसा दी थीं। अंग्रेजों ने केवल 10 मिनट के भीतर करीब 1650 राउंड गोलियां चलाई थी. इन गोलियां से बचने के लिए लोग बाग में बने कुएं में कूद गए थे। थोड़ी ही देर में यह कुआं लाशों से भर गया। इस घटना में लगभग 1,000 लोग मारे गए थे लेकिन ब्रिटेन सरकार के आंकड़ों में लगभग 400 लोगों की मौत का ही जिक्र है।

ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचारों की गवाही देते इस स्मारक की एलिजाबेथ ने 1997 में यात्रा की थी। उन्होंने यहां पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी थी। इस दौरान उन्होंने कहा था, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है कि अतीत में कुछ खराब घटनाक्रम हुए। जलियांवाला बाग एक ऐसा ही परेशान कर देने वाला उदाहरण है। ख़ास बात ये थी इस दौरान महारानी ने श्रद्धांजलि दी और दुःख प्रकट किया लेकिन ब्रिटिश शाही परिवार की ओर से इस कृत्य के लिए माफी नहीं मांगी। जिसके बाद देश भर में महारानी को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था।

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