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Lead Story
अवमानना केस : माफी न मांगने पर अड़े भूषण, वकील बोले - सजा देकर शहीद न बनाएं
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अवमानना केस : माफी न मांगने पर अड़े भूषण, वकील बोले - सजा देकर 'शहीद' न बनाएं

Swadesh Digital
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25 Aug 2020 5:33 PM IST

नई दिल्ली। प्रशांत भूषण की अवमानना मामले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा, ''भूषण को अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन वे अवमानना पर माफी नहीं मानना चाहते। व्यक्ति को गलती का अहसास होना चाहिए। हमने उन्हें समय दिया। लेकिन उनका (प्रशांत भूषण) कहना है कि वे माफी नहीं मांगेंगे।'' कोर्ट ने यह भी साफ किया कि उनकी (कोर्ट की) तरफ से सिर्फ ऑर्डर के जरिए ही बात की जा सकती है।

जस्टिस मिश्रा ने कहा, ''हम इस आधार पर आदेश नहीं देने जा रहे हैं कि भूषण के समर्थन में कौन है और कौन नहीं। आप (भूषण) सिस्टम का हिस्सा हैं। आपकी गरिमा जजों के जैसी अच्छी है। यदि आप एक दूसरे को इस तरह खत्म करेंगे, लोगों का सिस्टम में भरोसा नहीं होगा।''

जस्टिस मिश्रा ने कहा, ''हम स्वस्थ आलोचना का स्वागत करते हैं। लेकिन हम आलोचना का जवाब देने के लिए प्रेस में नहीं जा सकते हैं। एक जज के रूप में मैं कभी प्रेस में नहीं गया। हमें इस नीति का पालन करना है। ऐसा मत मानिए कि हम किसी को आलोचना से रोक रहे हैं। हर कोई सुप्रीम कोर्ट की आलोचना कर रहा है। क्या हमने कोई ऐक्शन लिया है? प्रशांत के खिलाफ अवमानना का दूसरा केस 11 सालों से लंबित है। क्या हमने कोई ऐक्शन लिया है?'' जस्टिस मिश्रा ने कहा कि कार्यकाल खत्म होने से पहले यह सब देखना दुखद है।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को प्रशांत भूषण को चेतावनी देते हुए दया दिखानी चाहिए। कोर्ट ने वेणुगोपाल से पूछा कि भूषण ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट खत्म हो गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है?

सुप्रीम कोर्ट ने माफी ना मांगने के स्टैंड पर दोबारा विचार करने के लिए 30 मिनट का समय दिया।

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि प्रशांत भूषण को अपने सभी बयान वापस लेकर खेद जतानी चाहिए। हालांकि, प्रशांत भूषण अपने पुराने रुख पर कायम हैं। भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा कि बयान वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है।

कोर्ट की कार्रवाई दोबारा शुरू होने पर प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने वरिष्ठ वकील के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने न्यायमित्र के रूप में और पब्लिक केसों में इस कोर्ट में बहुत योगदान दे चुके हैं। धवन ने कहा कि मैंने 1000 आर्टिकल लिखे होंगे, जिनमें 900 सुप्रीम कोर्ट को लेकर हैं। मैने कहा था कि कोर्ट का टेंपरामेंट मिडिल क्लास वाला है। क्या यह अवमानना है? धवन ने यह भी कहा कि अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि भूषण के विचारों को कई दूसरे पूर्व जजों ने भी व्यक्त किया है।

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