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मध्य प्रदेश का पातालकोट नेचर से लबरेज, यहां दुर्लभ जड़ी बूटियां मौजूद, आज तक इसके रहस्यों से नहीं उठ पाया पर्दा...
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मध्य प्रदेश का पातालकोट नेचर से लबरेज, यहां दुर्लभ जड़ी बूटियां मौजूद, आज तक इसके रहस्यों से नहीं उठ पाया पर्दा...

Swadesh Digital
|
1 July 2024 2:41 PM IST

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बसा पातालकोट देखने में बेहद खूबसूरत है। इसके साथ-साथ इसे विश्व का सबसे अनोखा स्थान भी माना जाता है। इसकी भव्यता को देखते हुए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड ने अपनी सूची में रखा है।

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बसा पातालकोट देखने में बेहद खूबसूरत है। इसके साथ-साथ इसे विश्व का सबसे अनोखा स्थान भी माना जाता है। इसकी भव्यता को देखते हुए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड ने अपनी सूची में रखा है। इस जगह को एडवेंचर प्लेस ऑफ गोंडवाना के नाम पर भारत सरकार द्वारा एक नई पहचान दी गई है। इस जगह की खास बात यह है कि इस अनोखी जगह को पहली बार दुनिया की सबसे बड़ी रिकॉर्ड बुक में जगह दी गई है।

पातालकोट में दुर्लभ जड़ी बूटियां मौजूद


मध्यप्रदेश की इस जगह पर बेहद ही खूबसूरत और प्राकृतिक सौंदर्य देखने को मिलते हैं। यहां पर एडवेंचर करने के लिए कई सारी एक्टिविटीज मौजूद हैं। बता दें कि, सतपुड़ा के इस पातालकोट में जड़ी बूटियों का भरमार है। यहां हर तरह की अनोखी और दुर्लभ जड़ी बूटियां पाई जाती हैं। यह जगह प्राकृतिक सौंदर्य से अक्सर पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती है। यहां का रहस्य और सुंदरता लोगों का मन मोह लेती है। अगर आप घूमने के लिए किसी जगह की तलाश कर रहे हैं तो आपके लिए मध्यप्रदेश का पातालकोट एकदम सही जगह होगा।

जानकारी के मुताबिक, पातालकोट के जंगलों में कई ऐसी बूटियां मिलती है जो सिर्फ हिमालय में ही पाई जाती हैं। यह आज भी रहस्य का विषय है क्योंकि अभी तक कोई भी यह पता नहीं लगा पाया है कि पातालकोट में ये जड़ी-बूटियां कैसे उग रही हैं और इन दुर्लभ जड़ी-बूटियों के यहां उगने का मुख्य कारण क्या है। इसको लेकर अब तक कई वैज्ञानिक रिसर्च में लगे हुए हैं। लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पाया है।

79 किमी. में फैला है पातालकोट


जानकारी के मुताबिक यह 79 किलोमीटर में फैला हुआ है। अपनी सुंदरता के लिए इसे विश्वभर में पहचान मिल चुकी है। यह पातालकोट 3,250 फीट की औसत ऊंचाई पर बसा हुआ है। आज भी यहां के लोग पुरानी जीवनशैली को जीते हैं। बारिश के मौसम में यहां हरियाली की चादर देखने को मिलती है। सबसे ज्यादा लोग बारिश में यहां घूमने के लिए आते हैं। इसकी खास बात यह है कि चैत्र पूर्णिमा पर यहां गांव के लोग मेले का आयोजन करते हैं। आदिवासियों के लिए यहां पर एक अलग धर्म स्थान बनाया गया है। आज भी इस स्थान पर आदिवासियों के परंपरागत भोजन प्रचलित है।

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