< Back
Lead Story
भयावह आंकड़े : कर्नाटक में दूसरी लहर के दौरान 9 साल से कम उम्र के 40 हजार बच्चे संक्रमित
Lead Story

भयावह आंकड़े : कर्नाटक में दूसरी लहर के दौरान 9 साल से कम उम्र के 40 हजार बच्चे संक्रमित

स्वदेश डेस्क
|
21 May 2021 10:52 PM IST

बेंगलुरु। देश में जारी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अब तक कई राज्यों में कहर बरपा रही है। इसी कड़ी में कर्नाटक में दूसरी लहर के दौरान बच्चों में कोरोना संक्रमण के ममलों में तेजी से वृद्धि हुई है। बीते दो महीनो में 0-9 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या कुल संक्रमितों की संख्या का 143 फीसदी थी। वहीं 10 से 19 साल तक की उम्र के किशोरों में यह 160 फीसदी रही है।

कर्नाटक स्‍टेट वॉर रूम के अनुसार, इस साल 18 मार्च से 18 मई के बीच 0-9 साल की उम्र के 39,846 और 10-19 साल की उम्र के 1,05,044 बच्चे संक्रमित पाए गए हैं। इससे पहले पिछली लहर से लेकर 18 मार्च तक कुल 0 से 9वर्ष की उम्र के 27,841 और 10 से 19 साल की उम्र के 65,551 बच्चे संक्रमित हुए थे। इस लहर में बच्चों की मौत के मामलों में भी अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई है। पिछली लहर में जहां 28 बच्चों की जान गई थी, वहीँ इस साल दो माह के अंदर ही 15 बच्चे महामारी के शिकार हो गए। बीते दो महीनो 16 किशोरों की मृत्यु के बाद संख्या 46 से बढ़कर 62 हो गई। बच्चों में दूसरी लहर के दौरान होने वाली मौतों का मासिक औसत पहले की तुलना में तीन गुना और किशोरों के मामले में दोगुना रहा है।

बड़ों से बच्चों में संक्रमण -

बच्चों में महामारी के बढ़ते प्रकोप पर विशेषज्ञों की माने तो इस लहर में संक्रमण की दर काफी तेज रही है। जिसके कारण किसी घर में यदि एक व्यक्ति संक्रमित हुआ तो उसके संपर्क में आने से परिवार के अन्य सदस्य भी महज दो दिन के अंदर ही संक्रमित हुए है। कुछ मामलों में बच्चे कोरोना मरीज के प्राथमिक संपर्क होते है, जिसके कारण ज्यादातर मामलों किसी परिवार में वे सबसे पहले संक्रमित हुए हैं। इस मामले में एक अन्य विशेषज्ञ का कहना है की बच्‍चे आसानी से संक्रमित हो जाते हैं और आसानी से वायरस फैलाते भी हैं क्‍योंकि वे परिवार के व्‍यस्‍क सदस्‍यों के नजदीकी संपर्क में होते हैं। ऐसे में बच्‍चों में जैसे ही शुरुआती लक्षण दिखें उनकी देखभाल करने वाले को उन्‍हें लेकर फौरन आइसोलेट हो जाना चाहिए।'बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सुप्रजा चंद्रशेखर ने कहा कि 10 कोरोना संक्रमित बच्चों में से केवल एक को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है और बाकी का इलाज घर पर ही किया जा सकता है। वहीँ अन्य विशषज्ञ डॉ चंद्रशेखर ने कहा की डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को सीटी स्कैन, डी डिमर टेस्ट या रक्त जांच नहीं करवानी चाहिए।


Related Tags :
Similar Posts