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पीएम-सीएम और मंत्रियों को हटाने वाले बिलों पर गरमाया सदन का माहौल; विपक्षी सांसदों ने फाड़ी बिल की कॉपी
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लोकसभा में तीन विधेयक पर बवाल: पीएम-सीएम और मंत्रियों को हटाने वाले बिलों पर गरमाया सदन का माहौल; विपक्षी सांसदों ने फाड़ी बिल की कॉपी

Tanisha Jain
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20 Aug 2025 3:47 PM IST

Monsoon Session: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन अहम बिल पेश किए। इन विधेयकों में प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री किसी गंभीर अपराध (जिसकी सजा 5 साल या उससे अधिक है) में गिरफ्तार होता है या 30 दिन से ज्यादा हिरासत में रहता है, तो उसे अपने पद से हटना पड़ेगा।

लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने तीन अहम बिल पेश किए। इनमें गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025, 130वां संविधान संशोधन बिल 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025 शामिल है।

सरकार का कहना है कि अभी संविधान या किसी भी कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार हुए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाया जा सके। इस कमी को दूर करने के लिए संविधान और संबंधित कानूनों में संशोधन लाने की जरूरत है।

जैसे ही अमित शाह ने ये बिल पेश किए, विपक्ष भड़क गया। कांग्रेस, AIMIM और सपा ने बिलों का विरोध किया और इन्हें वापस लेने की मांग की। विपक्षी सांसदों ने बिल की कॉपी फाड़कर गृह मंत्री की ओर फेंकी और उनका माइक मोड़ने की कोशिश भी की। सदन में जमकर हंगामा हुआ और स्थिति तनावपूर्ण हो गई। सत्ता पक्ष के सांसदों ने शाह की सुरक्षा में आकर विपक्ष को रोकने की कोशिश की।

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस बिल को असंवैधानिक और तानाशाही करार दिया। उन्होंने कहा कि यदि किसी मुख्यमंत्री पर केस दर्ज कर उन्हें 30 दिन जेल में रखा गया, तो बिना सजा हुए ही उनकी कुर्सी छिन जाएगी, जो लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है। वहीं समाजवादी पार्टी ने इसे संविधान विरोधी और न्याय विरोधी बताया, जबकि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बिलों का कड़ा विरोध किया।

अमित शाह ने कहा कि बिलों पर सभी पक्षों की राय ली जाएगी और इन्हें संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा जाएगा।

हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 6 महीने तक जेल में रहते हुए इस्तीफा नहीं दिया था। तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी भी 241 दिन जेल में रहने के बाद अपने पद पर बने रहे थे। सरकार का कहना है कि इसी तरह की स्थितियों को रोकने के लिए यह कानूनी ढांचा जरूरी है।

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