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Swati Maliwal case: नहीं थम रहीं केजरीवाल के करीबी विभव कुमार की मुश्किलें, कोर्ट ने बढ़ाई 16 जुलाई तक न्यायिक हिरासत
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Swati Maliwal case: नहीं थम रहीं केजरीवाल के करीबी विभव कुमार की मुश्किलें, कोर्ट ने बढ़ाई 16 जुलाई तक न्यायिक हिरासत

Anurag Dubey
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6 July 2024 3:32 PM IST

दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने बिभव कुमार को बीते 7 जून को जमानत देने से इनकार कर दिया था, उन्होंने कहा था कि उन पर "गंभीर" आरोप हैं।

Swati Maliwal case: नई दिल्ली। दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने शनिवार को राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल से कथित मारपीट मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार की न्यायिक हिरासत 16 जुलाई तक बढ़ा दी। कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था, इससे कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया था कि 13 मई को केजरीवाल के आवास पर उनके साथ मारपीट की गई थी।

उनकी पहली जमानत याचिका 27 मई को शहर की एक अदालत ने खारिज कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि मालीवाल की ओर से एफआईआर दर्ज करवाने में कोई "पूर्व-योजना" नहीं थी और उनके आरोपों को "खारिज नहीं किया जा सकता" दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने बिभव कुमार को बीते 7 जून को जमानत देने से इनकार कर दिया था, उन्होंने कहा था कि उन पर "गंभीर आरोप हैं और ऐसी आशंका है कि वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। 1 जुलाई को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाले कुमार द्वारा दायर याचिका को विचारणीय माना था और इस पर दिल्ली पुलिस का रुख मांगा था।

कुमार के खिलाफ 16 मई को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें महिला को निर्वस्त्र करने और अपराध करने के इरादे से उस पर आपराधिक धमकी, हमला या आपराधिक बल प्रयोग से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। कुमार ने अपनी याचिका में अपनी गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने तथा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का नोटिस) के प्रावधानों का घोर उल्लंघन और कानून के आदेश के विरुद्ध घोषित करने का निर्देश मांगा है।

कुमार ने दावा किया कि उन्हें गिरफ्तार किया गया, जबकि उनकी अग्रिम जमानत याचिका ट्रायल कोर्ट में लंबित थी, जो उनके मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कानून का भी उल्लंघन है। कुमार ने याचिका में अपनी "अवैध" गिरफ्तारी के लिए "उचित मुआवजा" और उनकी गिरफ्तारी के निर्णय लेने में शामिल दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने की भी मांग की है।

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