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पुण्यतिथि विशेष: महबूब खान ने हिंदी सिनेमा को पहली बार ऑस्कर में पहुंचाया
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पुण्यतिथि विशेष: महबूब खान ने हिंदी सिनेमा को पहली बार ऑस्कर में पहुंचाया

Swadesh Digital
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28 May 2020 12:50 PM IST

मुंबई। फिल्ममेकर महबूब खान की आज 56वीं पुण्यतिथि है। उन्होंने आज ही के दिन 28 मई 1964 को इस दुनिया को अलविदा कह दिये थे। महबूब खान का असली नाम रमजान खान था। उनका जन्म 1906 में गुजरात के बिलमिरिया में हुआ। महबूब खान भारतीय सिनेमा के एक ऐसे निर्माता-निर्देशक थे, जिन्होंने दर्शकों को लगभग तीन दशक तक क्लासिक फिल्मों का तोहफा दिया। उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्म 'मदर इंडिया' के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। महबूब खान के इस फिल्म के कारण ही हिंदी सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान मिली थी। 'मदर इंडिया' को ऑस्कर में नॉमिनेट किया गया था। महबूब खान ने मदर इंडिया के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर अवार्ड जीते थे। इस फिल्म को 1958 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था। महबूब खान द्वारा लिखित और निर्देशित 'मदर इंडिया' में नर्गिस, सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार और राज कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी। 1957 में रिलीज हुई फिल्म मदर इंडिया में किसानों की गरीबी, भुखमरी और जमींदारों के जुल्म को दिखाया गया।

अभिनेता बनने का सपना लेकर वह युवावस्था में ही घर से भागकर मुंबई आ गए और एक स्टूडियो में काम करने लगे। अभिनेता के रूप में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1927 में प्रदर्शित फिल्म 'अलीबाबा एंड फोर्टी थीफ्स' से की थी। इस फिल्म में उन्होंने चालीस चोरों में से एक चोर की भूमिका निभाई थी। 1935 में उन्हें 'जजमेंट ऑफ अल्लाह' फिल्म के निर्देशन का मौका मिला। अरब और रोम के बीच युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित यह फिल्म दर्शकों को काफी पसंद आई। 1936 में 'मनमोहन' और 1937 में 'जागीरदार' फिल्मों का निर्देशन किया। 1937 में ही 'एक ही रास्ता' रिलीज हुई। सामाजिक पृष्ठभूमि पर आधारित यह फिल्म दर्शकों को काफी पसंद आई। इस फिल्म की सफलता के बाद वह निर्देशक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। महबूब ने 1940 में 'औरत', 1941 में 'बहन' और 1942 में 'रोटी' जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। ये फिल्म वर्गभेद के साथ ही पूंजीवाद और धन की लालसा के नकारात्मक प्रभाव पर केंद्रित थी।

इसके बाद उन्होंने महबूब प्रोडक्शन की स्थापना की। महबूब प्रोडक्शन की स्थापना के बाद उन्होंने कई चर्चित फिल्में बनाई। इस बैनर तले उन्होंने 1943 में 'नजमा', 'तकदीर' और 1945 में 'हूमायूं' जैसी फिल्मों का निर्माण किया। 1946 में रिलीज हुई फिल्म 'अनमोल घड़ी' सुपरहिट फिल्मों में गिनी जाती है। उसके बाद उनकी कई फिल्में हिट हुई, जिनमें 'अनोखी अदा', 'अंदाज', 'आन', 'अमर', 'मदर इंडिया', 'सन ऑफ इंडिया' आदि शामिल हैं। 'आन' उनकी पहली रंगीन फिल्म थी, जबकि 'अमर' में नायक की भूमिका एंटी हीरो की थी।

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