
Supreme Court
SC का बड़ा कदम: प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ पर ऑडिट का आदेश, ‘खुशी से आयशा’ वाला केस बना वजह
|सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ के ऑडिट का आदेश दिया। नाम बदलने से जुड़े विवाद से मामला उठा। साथ ही IOC में 2755 भर्तियाँ घोषित।
देश की शिक्षा व्यवस्था पर सुप्रीम कोर्ट की सख़्ती और एक छात्रा की पहचान से जुड़े विवाद से उठे सवाल इन्हीं के बीच आज की सबसे बड़ी ख़बर सामने आई है। कभी-कभी एक छोटी-सी दिखने वाली कहानी पूरे सिस्टम को हिलाकर रख देती है। ठीक वैसा ही हुआ आयशा जैन के मामले में जहाँ नाम बदलने की उनकी व्यक्तिगत लड़ाई सीधे सुप्रीम कोर्ट तक पहुँची, और फिर वहाँ से देशभर की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ पर बड़ा आदेश निकल आया।
आयशा के नाम बदलने से शुरू हुई कहानी
2021 में खुशी जैन ने अपने सभी दस्तावेज़ों में नाम बदलकर आयशा जैन कर लिया। सब कुछ सामान्य था, जब तक कि 2023 में एमिटी बिजनेस स्कूल ने उनका नाम अपडेट करने से इनकार नहीं कर दिया। क्लास में रोक, आधिकारिक दस्तावेज़ों में संशोधन न करने की जिद और अंत में आयशा का सुप्रीम कोर्ट के दरवाज़े पर दस्तक देना।
SC ने साधा बड़ा सवाल: ‘यूनिवर्सिटीज़ का संचालन कैसे हो रहा है?’
सुनवाई के दौरान जस्टिस अमानुल्लाह और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की बेंच ने कहा कि मामला सिर्फ एक छात्रा का नहीं है बल्कि सिस्टम की खामी का हिस्सा है। यही कारण है कि कोर्ट ने याचिका को पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन यानी PIL में बदल दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और UGC से देशभर की प्राइवेट, डीम्ड और गैर-सरकारी यूनिवर्सिटीज़ के गठन, संचालन, फंडिंग और रेगुलेशन की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
क्यों मायने रखता है यह आदेश?
हमारी शिक्षा व्यवस्था में प्राइवेट और डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। अक्सर छात्र शिकायतें करते हैं
- मनमानी फीस
- प्रशासनिक देरी
- डॉक्यूमेंट अपडेट में टालमटोल
- रेगुलेशन की अस्पष्टता
आयशा का मामला इसी व्यापक समस्या की झलक है। एक छात्रा का संघर्ष अब पूरे शिक्षा तंत्र के लिए मिरर बन चुका है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से न सिर्फ यूनिवर्सिटीज़ की जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि लाखों छात्रों को भी अपने अधिकारों के प्रति नई उम्मीद मिल सकती है।