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अर्थव्यवस्था
भारतीय बाजार में विदेशी निवेश जारी, सितंबर में अब तक 7,605 करोड़ का इन्वेस्टमेंट
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भारतीय बाजार में विदेशी निवेश जारी, सितंबर में अब तक 7,605 करोड़ का इन्वेस्टमेंट

स्वदेश डेस्क
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14 Sept 2021 7:56 PM IST

नईदिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में अगस्त के महीने में आई तेजी से उत्साहित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) सितंबर के महीने में भी जमकर निवेश कर रहे हैं। ये विदेशी निवेशक मौजूदा कारोबारी सप्ताह के पहले तक सितंबर के महीने में 7,605 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश कर चुके हैं।

डिपॉजिटरी से मिले दूसरे कारोबारी सप्ताह की समाप्ति यानी 9 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर के महीने में डेट सेगमेंट में 3,220 करोड़ रुपये का निवेश किया, वहीं इक्विटी मार्केट में 4,385 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस तरह महीने के शुरुआती 9 दिनों के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने कुल 7,605 करोड़ रुपये का निवेश किया।

शेयर बाजार की मजबूती -

जानकारों का कहना है कि शेयर बाजार की मजबूती और भारतीय अर्थव्यवस्था में बेहतरी के संकेत ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भारतीय शेयर बाजार की ओर आकर्षित किया है। इसके साथ ही मुद्रा बाजार में रुपये की स्थिरता और भारत तथा अमेरिका के बढ़ते बांड स्प्रेड डिफरेंस की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का ध्यान भारतीय डेट और बॉन्ड मार्केट की ओर भी आकर्षित हुआ है। शेयर बाजार और डेट मार्केट के आकर्षण के कारण इन निवेशकों ने इसके पहले अगस्त के महीने में भी 16,459 करोड़ रुपये का भारतीय बाजार में निवेश किया था। इनमें से रिकॉर्ड 14,376.2 करोड़ रुपये का निवेश बॉन्ड मार्केट में किया गया था।

इंटरेस्ट रेट में बदलाव-

हालांकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से हाल में ही स्पष्ट किया गया है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक इंटरेस्ट रेट में बदलाव करने के पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था को परखने के साथ ही अमेरिकी बाजार पर मौजूदा परिवर्तनों के पड़ रहे असर की समीक्षा करेगा। जाहिर है कि अमेरिका में अभी तत्काल इंटरेस्ट रेट में कोई बदलाव होने की संभावना काफी कम है। जानकारों का कहना है कि इस स्थिति में भारतीय बाजार की मजबूती विदेशी निवेशकों को भारत में पूंजी प्रवाह करने के लिए प्रेरित कर सकती है। हालांकि एक संभावना वैश्विक अर्थव्यवस्था में दिसंबर के महीने तक उतार चढ़ाव वाली भी बनी हुई है। ऐसा होने से भारतीय बाजार में भी विदेशी निवेशकों के निवेश में होने वाले उतार-चढ़ाव के रूप में देखा जा सकता है।

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