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अर्थव्यवस्था
वित्त मंत्रालय ने राज्यों को जारी किए 44 हजार करोड़, कर्ज सुविधा के तहत दी राशि
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वित्त मंत्रालय ने राज्यों को जारी किए 44 हजार करोड़, कर्ज सुविधा के तहत दी राशि

स्वदेश डेस्क
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28 Oct 2021 10:51 PM IST

नईदिल्ली। केंद्र सरकार ने जीएसटी संग्रह में कमी की क्षतिपूर्ति के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कर्ज सुविधा के तहत शेष 44 हजार करोड़ रुपये रुपये जारी किए हैं। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2021-22 में यह राशि 1.59 लाख करोड़ रुपये हो गई है। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी।

वित्त मंत्रालय ने जारी एक बयान में कहा कि राज्यों और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के बदले 44 हजार करोड़ रुपये सरकार ने जारी किए हैं। यह राशि कर्ज सुविधा व्यवस्था के तहत जारी की गई है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष में जीएसटी क्षतिपूर्ति के बदले कर्ज सुविधा व्यवस्था के तहत राज्यों को 1.59 लाख करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।

मंत्रालय के अनुसार 44,000 करोड़ रुपये की राशि का वित्तपोषण चालू वित्त वर्ष में भारांश औसत प्रतिफल 5.69 फीसदी पर जारी भारत सरकार की प्रतिभूतियों के जरिए किया गया है। इससे पूर्व सरकार ने 15 जुलाई और 7 अक्टूबर को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को क्रमश: 75 हजार करोड़ रुपये और 40 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने जारी किए थे।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस तरह कुल मिलाकर 1.59 लाख करोड़ रुपये की यह राशि एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कोष (उपकर संग्रह के आधार पर) के अलावा है, जो वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान राज्यों और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किए जाने का अनुमान है। गौरतलब है कि कर्ज सुविधा के तहत जारी कोष 2 महीने पर जीएसटी क्षतिपूर्ति के तौर पर दी जा रही राशि के अतिरिक्त है, जो राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर संग्रह से प्राप्त राशि से दी जा रही है।

उल्लेखनीय है कि इस साल 28 मई, 2021 को जीएसटी परिषद की 43वीं बैठक में यह निर्णय किया गया था कि केंद्र वित्त वर्ष 2021-22 में 1.59 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेगा, जिसको समय-समय पर राज्यों तथा विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों को जारी करेगा। ताकि, जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष में एकत्रित अपर्याप्त राशि के कारण मुआवजे में कमी से संसाधनों में अंतर को पूरा किया जा सके। यह राशि पिछले वित्त वर्ष में अपनाए गए सिद्धांत के अनुरूप है, उस दौरान 1.10 लाख करोड़ रुपये राज्यों को जारी किए गए थे।

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