< Back
अर्थव्यवस्था
Adani Energy की बड़ी पहल, शुरू की सबसे बड़ी इंटर-रीजनल वरोरा-कुरनूल ट्रांसमिशन लाइन
अर्थव्यवस्था

Adani Energy की बड़ी पहल, शुरू की सबसे बड़ी इंटर-रीजनल वरोरा-कुरनूल ट्रांसमिशन लाइन

स्वदेश डेस्क
|
19 Oct 2023 4:30 PM IST

डब्ल्यूकेटीएल एक सिंगल स्कीम के तहत अब तक प्रदान की गई सबसे बड़ी 765 केवी डी/सी (हेक्सा कंडक्टर) टीबीसीबी (टैरिफ-आधारित प्रतिस्पर्धी बोली) परियोजना है।

नईदिल्ली। अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (एईएसएल) ने महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 1,756 सर्किट किलोमीटर तक फैले, वरोरा-कुरनूल ट्रांसमिशन (डब्ल्यूकेटीएल) को पूरी तरह से चालू कर दिया है। यह परियोजना पश्चिमी क्षेत्र और दक्षिणी क्षेत्र के बीच 4500 मेगावाट की बिना रुकावट बिजली सुनिश्चित करने के लिए नेशनल ग्रिड को मजबूती प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त यह दक्षिणी क्षेत्र ग्रिड को मजबूत करने और रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों से होने वाले उत्पादन काे बड़े पैमाने पर इंटीग्रेट करेगा।

वरोरा कुरनूल ट्रांसमिशन लिमिटेड (डब्ल्यूकेटीएल) का गठन अप्रैल 2015 में किया गया था ताकि दक्षिणी क्षेत्र में आयात के लिए एक अतिरिक्त इंटर-रीजनल अल्टरनेट करंट लिंक स्थापित किया जा सके, यानी वरोरा-वारंगल और चिलकलूरिपेटा-हैदराबाद-कुरनूल, साथ ही वारंगल में 765/400 केवी उपस्थिति के साथ एक सब-स्टेशन स्थापित किया जा सके। डब्ल्यूकेटीएल एक सिंगल स्कीम के तहत अब तक प्रदान की गई सबसे बड़ी 765 केवी डी/सी (हेक्सा कंडक्टर) टीबीसीबी (टैरिफ-आधारित प्रतिस्पर्धी बोली) परियोजना है। इसमें महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के क्षेत्र को पार करने वाली 1756 सीकेएम की ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण शामिल था, साथ ही वारंगल में 765 किलोवोल्ट के सब-स्टेशन की स्थापना 'निर्माण, स्वामित्व, संचालन और मेंटिनेंस' के आधार पर किया गया था। इसे 2016 की शुरुआत में एसेल इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड को टैरिफ-आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (टीबीसीबी) पर दिया गया था लेकिन बाद में कर्ज संबधी परेशानियों को देखते हुए इसे मार्च 2021 में एईएसएल द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया था।

इस परियोजना के बड़े आकार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टावरों को खड़ा करने में कुल 1,03,000 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है। यह 10 एफिल टावर खड़ा करने के लिए आवश्यक मटेरियल के बराबर है। इन ट्रांसमिशन लाइनों के लिए कुल 30,154 किमी कंडक्टर का उपयोग किया गया है, जो चंद्रमा के तीन चक्कर लगाने के बराबर है।

यह इंजीनियरिंग एक चमत्कार है, जिसमें पाइल फाउंडेशन के साथ 102 मीटर ऊंचे दो मिड-स्ट्रीम टावर्स पहली बार कृष्णा नदी पर स्थापित किए गए थे। इसके लिए प्लानिंग बहुत महत्वपूर्ण थी, क्योंकि साल के दौरान सिर्फ तीन महीने ही काम करने का समय था, जब नदी में जल स्तर कम रहता है। अन्य चुनौतियों में टावरों का निर्माण और 116 प्रमुख बिजली लाइनों, रेलवे-विद्युतीकृत पटरियों और राष्ट्रीय राजमार्गों को पार करने वाली लाइनों की स्ट्रिंग भी शामिल थी।

Similar Posts