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रिसर्च और विकास किसी भी विकासशील देश के मजबूत स्तंभ हैं : डॉ निशंक
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रिसर्च और विकास किसी भी विकासशील देश के मजबूत स्तंभ हैं : डॉ निशंक

Swadesh Digital
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2 Nov 2020 9:11 PM IST

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) सिलचर के 18वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में कहा कि हमारा लक्ष्य भारत को ज्ञान, विज्ञान एवं तकनीकी हब बनाने का है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के मिशन को साकार करने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधानों, प्रौद्योगिकी तथा नवा चारों पर विशेष बल देती है, जिसमें एनआईटी जैसे संस्थानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

निशंक ने कहा कि मुझे विश्वास है कि आज उपाधि प्राप्त विद्यार्थी हमारे इस मिशन के ब्रांड एंबेसडर बनेंगे। सभी उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की हार्दिक शुभकामनाएं।

उल्लेखनीय है कि रिसर्च और विकास किसी भी विकासशील देश के मजबूत स्तंभ हैं। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) सिलचर हमेशा से इस दिशा में अपना योगदान देता रहा है और इसके 56 विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट इस बात के सबूत हैं। इसके अलावा इस संस्थान ने साइबर फिजिकल सिस्टम मिशन पर आधारित एक टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब भी बनाया है।

भारत द्वारा अनुसंधान और विकास की दिशा में किये गए कामों के बारे में बात करते हुए डॉ निशंक ने कहा, "भारत हमेशा से ज्ञान, विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रयास करता रहा है। शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के हमारे लक्ष्य को पूरा करने में एनआईटी सिलचर के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के 56 प्रोजेक्ट काफी मददगार साबित होंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा, इस वैश्वीकृत विश्व में ग्लोबल माइंड सेट के साथ हमारी यह नीति इंडियन, इंटरनेशनल, इंपैक्टफुल, इंटरएक्टिव और इंक्लूसिविटी के तत्वों को एकसाथ समाहित करती है, जो हमारे छात्रों के लिए फायदेमंद साबित होंगे और हमारी 'स्टडी इन इंडिया' पहल को गति देगी।

पेटेंट के बारे में बात करते हुए निशंक ने कहा, "अगर हम एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुलना करें, तो भारत पेटेंट के मामले में कुछ पीछे हैं और इसके लिए हमें उस खाई को पाटने की जरूरत है, जिसको ध्यान में रखते हुए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना की जा रही है।"

उन्होंने आगे कहा, अब समय आ गया है कि मेक इन इंडिया, स्किल इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कैंपेन का उपयोग करके अपनी प्रतिभाओं को मौका देकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करें।

इसके अलावा डॉ निशंक ने भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग सेंटर बनाने के लिए एनआईटी सिलचर को बधाई दी और कहा कि भाषा किसी भी देश का मूल स्तंभ है और भाषाओँ के संवर्धन के लिए एनआईटी का प्रयास सराहनीय है।

इस अवसर पर एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो अनिल डी सहस्रबुद्धे ने कहा, शिक्षण समुदाय और छात्रों के बीच संपर्क होना बेहद जरूरी है और यह अटल अकादमियों और आठ मॉड्यूलों के अनिवार्य प्रमाणन प्रोग्रामों के तहत फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्रामों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युवाओं को अधिक योग्य बनाने के विचार को ध्यान में रखते हुए मैं यह कहना चाहता हूं कि न्यू इंडिया के सपने को साकार करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और इस दिशा में प्रयासरत हैं।

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