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कोरोना महामारी के दौरान छंटनी करने वाली भारतीय कंपनियों पर बरसे रतन टाटा, कहा- क्या यही आपकी नैतिकता की परिभाषा
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कोरोना महामारी के दौरान छंटनी करने वाली भारतीय कंपनियों पर बरसे रतन टाटा, कहा- क्या यही आपकी नैतिकता की परिभाषा

Swadesh Digital
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25 July 2020 9:34 PM IST

नई दिल्ली। टाटा समूह के संरक्षक रतन टाटा ने गुरुवार (23 जुलाई) को कहा कि कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के दौरान भारतीय कंपनियों द्वारा छंटनी एक स्वाभाविक और बिना सोच-समझकर की जाने वाली प्रतिक्रिया थी, जो यह दिखाता है कि कंपनी के शीर्ष नेतृत्व में अपने कर्मचारियों के लिए हमदर्दी की कमी है।

रतन टाटा ने कहा, "ये वे लोग हैं जिन्होंने आपके लिए काम किया है। ये वे लोग हैं जिन्होंने अपने पूरे करियर में आपकी की सेवा की है। और ऐसे हालात में जब उन्हें आपकी ज़रूरत है आप अपने मजदूरों-कर्मचारियों के साथ इस तरह से पेश आते हैं। तो क्या यही आपकी नैतिकता की परिभाषा है?"

महामारी के दौरान हालांकि टाटा समूह ने किसी भी कर्मचारी को कंपनी से नहीं निकाला है, लेकिन इसके ठीक उलट कई भारतीय कंपनियों ने देशभर में तालाबंदी (लॉकडाउन) के बाद नकदी की कमी की वजह से कर्मचारियों की छंटनी की है। वहीं टाटा समूह ने अपने टॉप मैनेजमेंट के वेतन में 20 प्रतिशत तक की कटौती की है। एयरलाइंस, होटल, फाइनेंशियल सर्विसेज और ऑटो बिजनेस सहित टाटा समूह की कुछ कंपनियों को तालाबंदी से नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन फिर किसी भी कर्मचारी को कंपनी से नहीं निकाला गया।

टाटा ने कहा कि अगर आप अपने लोगों के बारे नहीं सोचते हैं, तो एक कंपनी के तौर पर आपका बचे रहना मुश्किल है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, "आप भले कहीं भी रहे, कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। आपके लिए कुछ भी कारण हो सकता है, लेकिन जीवित रहने के लिए आपको अपनी सोच के मुताबिक बदलना होगा।" टाटा ने कहा, "जबकि सभी मुनाफे के पीछे दौड़ रहे हैं। सवाल यह है कि यह कितना नैतिक है। बिजनेस का मकसद सिर्फ पैसा बनाना नहीं है, बल्कि कस्टमर्स (ग्राहकों) और स्टेक होल्डर्स (शेयरधारकों) के लिए सब कुछ सही और नैतिक रूप से काम करना भी है।

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