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भारत-चीन सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से मौजूदा तनाव कम करने में लगे
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भारत-चीन सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से मौजूदा तनाव कम करने में लगे

Swadesh Digital
|
16 July 2020 5:57 PM IST

सेना ने भी माना- एलएसी से पीछे हटने का दूसरा दौर जटिल

नई दिल्ली। भारत और चीन के कोर कमांडरों की 14 घंंटे चली चौथे दौर की वार्ता के बारे में गुरुवार को भारतीय सेना का आधिकारिक बयान आया है, जिसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष एलएसी से पीछे हटने के लिए प्रतिबद्ध हैं। साथ ही सेना ने यह भी माना है कि दूसरे दौर की प्रक्रिया जटिल है और निरंतर सत्यापन की आवश्यकता है।

पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर भारतीय सेना के बयान में कहा गया है कि भारत और चीन एलएसी के साथ मौजूदा स्थिति को दूर करने के लिए स्थापित सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से चर्चा में लगे हुए हैं। पीएलए और भारतीय सेना के कमांडरों ने चौथे दौर की वार्ता के लिए 14 जुलाई को भारतीय क्षेत्र के चुशुल में एक बैठक की, जिसमें वरिष्ठ कमांडरों ने पहले चरण के विघटन के कार्यान्वयन पर प्रगति की समीक्षा की और पूर्ण विघटन सुनिश्चित करने के लिए और कदमों पर चर्चा की। भारतीय सेना के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीन पूर्ण विघटन के उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह प्रक्रिया जटिल है और इसके लिए निरंतर सत्यापन की आवश्यकता है।

कोर कमांडर स्तर की मैराथन बैठक के बारे में आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को बुधवार सुबह जानकारी दी गई। इसके बाद शाम को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की अध्यक्षता में चाइना स्टडी ग्रुप (सीएसजी) के साथ चर्चा हुई। चाइना स्टडी ग्रुप एलएसी से संबंधित सभी मामलों पर 1970 के दशक के मध्य से देश का सर्वोच्च सलाहकार निकाय है, जिसमें कैबिनेट सेक्रेटरी, रक्षा सचिव, गृह सचिव, विदेश सचिव, खुफिया ब्यूरो के निदेशक और सेना के प्रतिनिधि शामिल हैं। 1962 के बाद चीन के साथ उपजे सबसे ज्यादा तनाव के मद्देनजर पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर बड़े सैन्य टकराव के बाद से यह समूह सक्रिय है।

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