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नौसेना को इस महीने मिल जाएगा पहला स्वेदशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएसी विक्रांत
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नौसेना को इस महीने मिल जाएगा पहला स्वेदशी एयरक्राफ्ट कैरियर 'आईएसी विक्रांत'

स्वदेश डेस्क
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2 May 2022 5:21 PM IST

यह जहाज आजादी की 75वीं वर्षगांठ के समय देश को समर्पित किया जायेगा

नईदिल्ली। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस 'विक्रांत' इसी माह भारतीय नौसेना को सौंप देगा। आईएसी-01 के रूप में भी पहचाने जाने वाला यह जहाज आजादी की 75वीं वर्षगांठ के समय देश को समर्पित किया जायेगा। इसके बाद भारतीय नौसेना आने वाले वर्षों में दुनिया की शीर्ष तीन नौसेनाओं में से एक बन जाएगी। यह स्वदेशी विमान वाहक 'आत्मनिर्भर भारत' का एक शानदार उदाहरण है।

अगले सप्ताह तक पूरा होगा अंतिम समुद्री परीक्षण -

स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएसी) आईएनएस विक्रांत का निर्माण 28 फरवरी, 2009 से कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड में शुरू किया गया था। दो साल में निर्माण पूरा होने के बाद विक्रांत को 12 अगस्त, 2013 को लॉन्च किया गया था। आईएसी विक्रांत का पहला परीक्षण पिछले साल अगस्त में और दूसरा समुद्री परीक्षण अक्टूबर में किया जा चुका है। इसी साल स्वदेशी विमान वाहक 'विक्रांत' को तीसरे समुद्री परीक्षणों के लिए भेजा गया है। सीएसएल के निदेशक (तकनीकी) बिजॉय भास्कर मुताबिक अगले सप्ताह तक आईएसी का अंतिम समुद्री परीक्षण पूरा हो जायेगा। इसके बाद हम इसी माह के अंत तक आईएसी भारतीय नौसेना को सौंप देंगे जिसके बाद भारत का पहला विमानवाहक पोत इस साल अगस्त में स्वतंत्रता दिवस पर देश को समर्पित किया जाएगा।

पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा -

इस आधुनिक विमान वाहक पोत के निर्माण के दौरान डिजाइन बदलकर वजन 37 हजार 500 टन से बढ़ाकर 40 हजार टन से अधिक कर दिया गया। इसी तरह जहाज की लंबाई 252 मीटर (827 फीट) से बढ़कर 260 मीटर (850 फीट) हो गई। यह 60 मीटर (200 फीट) चौड़ा है। इसे मिग-29 और अन्य हल्के लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। इस पर लगभग तीस विमान एक साथ ले जाए जा सकते हैं, जिसमें लगभग 25 'फिक्स्ड-विंग' लड़ाकू विमान शामिल होंगे। इसमें लगा कामोव का-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग भूमिका को पूरा करेगा और भारत में ही तैयार यह जहाज नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा। विमानवाहक पोत की लड़ाकू क्षमता, पहुंच और बहुमुखी प्रतिभा हमारे देश की रक्षा में जबरदस्त क्षमताओं को जोड़ेगी और समुद्री क्षेत्र में भारत के हितों को सुरक्षित रखने में मदद करेगी।

सीएसएल को 2020-21 में हुआ 610.10 करोड़ का मुनाफा -

अधिकारियों ने कहा कि कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड छोटी नावों से लेकर विमानवाहक पोत जैसे बड़े जहाज बना सकता है। सीएसएल 2023 तक कोच्चि के वेलिंगटन द्वीप में अंतरराष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा (आईएसआरएफ) के लिए काम पूरा करने की उम्मीद कर रहा है। सीएसएल ने 1994 से लगातार सकारात्मक वृद्धि हासिल की है, पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से नकारात्मक परिणाम मिले हैं। 2020-21 में सीएसएल की सकल आय 3,012.76 करोड़ रुपये थी और इसी अवधि में शुद्ध लाभ 610.10 करोड़ रुपये था। इस कंपनी में केंद्र सरकार की 72.86 फीसदी हिस्सेदारी है।

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