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कोवैक्सीन कम से कम 60 फीसदी प्रभावी होगा, जानें कब आएगा तीसरे चरण का परिणाम
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कोवैक्सीन कम से कम 60 फीसदी प्रभावी होगा, जानें कब आएगा तीसरे चरण का परिणाम

Swadesh Digital
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24 Oct 2020 11:47 AM IST

नई दिल्ली। भारत के पहले कोविड-19 टीके कोवैक्सीन के कम से कम 60% प्रभावी होने की संभावना है। इसे भारत बायोटेक द्वारा विकसित किया जा रहा है। डीसीजीआई (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) के विशेषज्ञ पैनल ने गुरुवार देर रात भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दी थी।

भारत बॉयोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक साई प्रसाद ने कहा कि कोवैक्सीन के लिए तीसरे और अंतिम चरण के ट्रायल के परिणाम अगले साल अप्रैल-मई तक तक आ सकते हैं। हमारे कोविड -19 विरोधी टीके की प्रभावकारिता का मानक 60% है। प्रसाद भारत बायोटेक में उत्पाद विकास टीम का एक हिस्सा है। डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के मुताबिक, टीके की गुणवत्ता कई मानकों पर कम से कम 50 फीसदी होनी चाहिए। तब उसको मंजूरी दी जाती है।

साई प्रसाद ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन और भारत के भारत के सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने 50 फीसदी प्रभावकारिता प्राप्त करने पर एक दूसरी वैक्सीन को मंजूरी दी है, जबकि कोवैक्सीन के लिए हम कम से कम 60% प्रभावकारिता हासिल करना चाहते हैं। यह अधिक भी हो सकता है। टीके के 50% से कम प्रभावी होने की संभावना बहुत दूर की बात है।

प्रसाद ने कहा कि भारत बॉयोटेक ने पहले चरण का परीक्षण पूरा कर लिया है और डीसीजीआई को नतीजे प्रस्तुत किए हैं। परिणाम सुरक्षा संबंधित किसी भी वजह से चिंता करने योग्य नहीं था। दूसरे चरण के लिए सुरक्षा परीक्षण पूरा हो चुका है। वर्तमान में इम्यूनोजेनेसिटी टेस्ट (टीके के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की जांच करने के लिए) चल रहा है। एक वैक्सीन उम्मीदवार की प्रतिरक्षा को निर्धारित करने के लिए अधिक समय लगभग एक या दो महीने लगता है। दूसरे चरण का अंतिम परिणाम नवंबर में सामने आएगा।

भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य फाउंडेशन के संस्थापक डॉ केके श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि बहुत कुछ तीसरे चरण के परीक्षण परिणामों पर निर्भर करेगा। क्लीनिकल ट्रायल अधिक नमूनों पर होगा। कंपनी सालाना लगभग 1 करोड़ 50 लाख खुराक की उत्पादन क्षमता देख रही है। हालांकि, अभी वैक्सीन की कीमत तय नहीं की गई है। मूल्य अभी तय नहीं किया गया है। तीसरे चरण के ​​परीक्षण के लिए अगले छह महीनों में लगभग 150 करोड़ रुपये खर्च होगा।

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