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विशेषज्ञों का दावा : टीके के दोनों डोज के बीच 12 से 16 सप्ताह के अंतर से मजबूत एंटीबॉडी बनेगी
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विशेषज्ञों का दावा : टीके के दोनों डोज के बीच 12 से 16 सप्ताह के अंतर से मजबूत एंटीबॉडी बनेगी

स्वदेश डेस्क
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13 May 2021 7:52 PM IST

केंद्र ने दी मंजूरी

नईदिल्ली। कोरोना से बचाव के लिए सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशिल्ड वैक्सीन के पहली और दूसरी डोज के बीच 12 से 16 सप्ताह के अंतराल को लेकर अभी भी भ्रम की स्थिति बनी है। इस बीच डॉक्टरों ने कहा है कि नई गाइडलाइन लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर जारी की गई है और इससे अब और अधिक मजबूत एंटीबॉडी बनेगा।

एक समाचार पत्र से विशेष बातचीत में डॉ. प्रभात सिंह ने बताया कि पहली गाइडलाइन के अनुसार लोगों को छह से आठ सप्ताह के अंतराल पर दूसरी डोज दी जाती थी। क्योंकि 28 दिन बाद शरीर में बेहतर एंटीबॉडी बनती है। उन्होंने बताया कि इस बारे में लगातार रिसर्च हो रहे थे और अब पता चला है कि अगर 12 से 16 सप्ताह के अंतराल पर दूसरी डोज दी जाएगी तो व्यक्ति के शरीर में और भी मजबूत एंटीबॉडी बनेगा, जो कोविड-19 के हरेक बदले हुए स्वरूप पर असरदार होगा।

6 से 8 सप्ताह में भी असरकारक -

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने पहले छह से आठ सप्ताह के अंतराल पर वैक्सीन की दूसरी डोज ली है उनके मन में एक भ्रम की स्थिति बन सकती है। ऐसे लोग यह भी सोच सकते हैं कि शायद उन्होंने समय से पहले वैक्सीन ले ली, जो अधिक असरदार नहीं होगी। अथवा वे लोग यह भी सोच सकते हैं कि पहले जिन लोगों ने वैक्सीन ली थी, उसके मुकाबले उन्हें कम फायदा होगा या उनके संक्रमित होने की संभावना अधिक रहेगी।

इस बारे में डॉ. प्रभात ने कहा कि केंद्र सरकार को अपनी निर्देशिका में इस भ्रम को भी दूर करना चाहिए था। लोगों को यह बताने की जरूरत है कि जिन लोगों ने पहले वैक्सीन ली है, वे भी सुरक्षित हैं और जो नए नियम के मुताबिक वैक्सीन लेंगे वे और अधिक सुरक्षित होंगे। इसमें भ्रम की कोई स्थिति नहीं रहनी चाहिए।

केंद्र सरकार ने दी मंजूरी -

दरअसल, केंद्र सरकार ने आज कोविशील्ड वैक्सीन के पहले और दूसरे डोज के बीच 12 से 16 सप्ताह के अंतराल को मंजूरी दे दी। दोनों डोज के बीच इस अंतर की सिफारिश नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ने की है। हालांकि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के दूसरे डोज के अंतराल में इस तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। केन्द्र सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कोविशील्ड के दोनों डोज में जो अंतर निर्धारित किया है, वह असली जीवन के साक्ष्यों पर आधारित है। विशेषकर ब्रिटेन के साक्ष्यों को देखकर ही कोविड-19 वर्किंग ग्रुप ने दोनों डोज के बीच अंतराल को बढ़ाने की सिफारिश की थी।

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