
नाबालिगों के नए आतंकी मॉड्यूल में और भी कई युवक एटीएस के रडार पर
|राज्य के आतंकरोधी दस्ता (एटीएस) की गिरफ्त में आए दो नाबालिग आतंकियों से पूछताछ और उनके डिजिटल मॉड्यूल के पैटर्न की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। ये दोनों नाबालिग मल्टी-लेयर नेटवर्क के साथ काम कर रहे थे, जिसमें भारत के कई राज्यों और विदेशों से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट सक्रिय थे।
एटीएस की जांच में सामने आया है कि इन नाबालिगों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय न्यूज़ चैनलों पर दिखाए जा रहे सैन्य मूवमेंट के मैप रिकॉर्ड कर पाकिस्तान भेजे। पाकिस्तानी हैंडलर इंस्टाग्राम और डार्क वेब के जरिए इन्हें निर्देश देकर संवेदनशील जानकारियां एकत्रित कर रहा था।
एटीएस ने इस पूरे मॉड्यूल को हाई-रिस्क श्रेणी में रखते हुए इंस्टाग्राम मुख्यालय से सर्वर-स्तर का डेटा मांगने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
मदरसे और स्कूलों के नाबालिगों का मॉड्यूल तैयार किया जा रहा था
राज्य एटीएस की प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि विदेशी हैंडलर्स ने स्कूल और मदरसे के दो नाबालिग छात्रों को टारगेट करके उन्हें कट्टरपंथी सामग्री भेजना शुरू किया था। इनके मोबाइल फोन, लैपटॉप और सोशल मीडिया अकाउंट से मिले डिजिटल साक्ष्य बताते हैं कि यह कोई सामान्य चैट या ऑनलाइन जिज्ञासा नहीं थी, बल्कि योजनाबद्ध तरीके से तैयार किया जा रहा आतंकी मॉड्यूल था। इसके अलावा, इस मॉड्यूल के माध्यम से और नाबालिगों को जोड़कर एक बड़ा नेटवर्क खड़ा करने की कोशिश के प्रमाण भी मिले हैं।
इंस्टाग्राम नेटवर्क से लेकर डार्क वेब तक फैला जाल
जांच में पता चला है कि दोनों नाबालिगों को इंस्टाग्राम पर बनाए गए एक गुप्त ग्रुप में शामिल किया गया था। इस ग्रुप का नाम “ISIS Raipur” रखा गया था, जिसमें कट्टरपंथी वीडियो, प्रतीक चिन्ह, टास्किंग संदेश और विदेशी निर्देशों से जुड़े डिजिटल पैटर्न मिले हैं। एटीएस यह जांच कर रही है कि यह ग्रुप कौन संचालित कर रहा था और इसमें कितने सदस्य सक्रिय थे।
भिलाई के चार युवकों से पूछताछ कर छोड़ा गया
एटीएस ने फरीद नगर (भिलाई) से चार युवकों को उठाकर पूछताछ की। शुरुआती जांच में इन युवकों के संपर्क का लिंक नाबालिग आरोपी से मिला। उन्हें कट्टरपंथी वीडियो भेजे जाते थे। हालांकि आतंकी मॉड्यूल में उनकी स्पष्ट भूमिका नहीं मिली, जिसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया।फिर भी, उनके मोबाइल फोन और डिजिटल गतिविधियों की तकनीकी जांच जारी है।
अरबी भाषा सीखकर विदेशी संपर्क बनाने की कोशिश
जांच में यह भी सामने आया है कि दोनों नाबालिग सीधे विदेशी हैंडलर्स से संवाद स्थापित करने की तैयारी कर रहे थे। उनके मोबाइल में अरबी भाषा सीखने वाले ऐप, ऑनलाइन कोर्स और कोडेड मैसेजिंग टूल पाए गए हैं।