छत्तीसगढ़
बिस्कुट-मशरूम कंपनी में छापा, 109 बाल मजदूरों को छुड़ाया
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बिस्कुट-मशरूम कंपनी में छापा, 109 बाल मजदूरों को छुड़ाया

Swadesh Bhopal
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19 Nov 2025 10:51 AM IST

चार माह बाद दोबारा मोजो मशरूम में छापेमारी, फिर प्रशासनिक लापरवाही सामने आई

मानवाधिकार आयोग की जांच में खुला नेटवर्क, राजधानी से गांव तक फैला हो सकता है बाल श्रम का जाल

राजधानी में चार महीने के भीतर दूसरी बार हुई छापेमारी ने एक बार फिर चौंकाने वाला खुलासा किया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सोमवार को सङ्क (बिस्कुट) और खरोरा (मशरूम) इलाके की दो फैक्ट्रियों पर एक साथ कार्रवाई कर 109 नाबालिग मजदूरों को मुक्त कराया। इनमें 68 लड़कियां और 41 लड़के शामिल हैं। अधिकांश बच्चे उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के रहने वाले हैं और कथित तौर पर बेहद खराब, दमघोंटू और शोषणकारी हालात में काम करते पाए गए।

फैक्ट्रियों को तत्काल बंद करने के आदेश

निरीक्षण के दौरान आयोग की टीम ने देखा कि दोनों इकाइयों में सुरक्षा, भोजन, वेतन और आवास जैसी कोई भी मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं थी। बच्चों से वयस्कों जैसी भारी मजदूरी ली जा रही थी। आयोग ने मौके पर ही दोनों फैक्ट्रियों को तत्काल बंद करने के निर्देश दिए और विस्तृत जांच शुरू करने का आदेश दिया। रेस्क्यू किए गए सभी बच्चों को महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम द्वारा सुरक्षित केंद्रों में भेजा गया। परिजनों से दस्तावेज बुलाए गए हैं ताकि प्रत्येक बच्चे की वास्तविक उम्र प्रमाणित की जा सके।

नहीं हुई थी कोई कार्रवाई, मामला ठंडे बस्ते में

जुलाई में मोजो मशरूम फैक्ट्री से 97 नाबालिग मजदूर मुक्त कराए गए थे। तब बच्चों ने मारपीट, काम के घंटे बढ़ाने, मजदूरी रोकने और अमानवीय रहने की स्थितियों की पुष्टि की थी। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से न तो कोई प्राथमिकी दर्ज की गई और न ही आगे कोई सख्त कार्रवाई हुई। श्रम विभाग ने केवल मजदूरों को बकाया भुगतान दिलाया और मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला गया। यही लापरवाही अब दोबारा सामने आई।

जिले में बाल मजदूरी का बड़ा नेटवर्क होने की आशंका

दो फैक्ट्रियों में एक साथ 109 बच्चों का मिलना इस बात का संकेत है कि राजधानी और आसपास के जिलों में बाल श्रम का एक संगठित नेटवर्क सक्रिय हो सकता है। मानवाधिकार आयोग के अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे संभव हैं। आयोग ने आश्वासन दिया है कि इस बार जांच अधूरी नहीं छोड़ी जाएगी और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

पूरी कार्रवाई में शामिल अधिकारी

इस संयुक्त कार्रवाई में मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो, महिला एवं बाल विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी संजय निराला, रायपुर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की प्रमुख डीएसपी नंदिनी ठाकुर, जिला प्रशासन की टीम और पुलिस विभाग शामिल रहे। इन अधिकारियों ने मौके पर बच्चों को छुड़ाने, कागजात जब्त करने और फैक्ट्रियों को बंद कराने की प्रक्रिया तत्काल शुरू करवाई।

कठोर दंड, लेकिन अनुपालन कमजोर

बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) संशोधन अधिनियम 2016 के अनुसार:

• 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से कोई भी काम करवाना पूर्णतः निषिद्ध है।

• 14-18 वर्ष के किशोरों को खतरनाक उद्योगों में नियोजित करना अपराध है।

• दंड: दो वर्ष तक कारावास, या 50 हजार रुपये तक जुर्माना, या दोनों।


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