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EOW का स्पेशल कोर्ट में बड़ा खुलासा, 29 बंडलों में 5000 पन्नों का चालान
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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: EOW का स्पेशल कोर्ट में बड़ा खुलासा, 29 बंडलों में 5000 पन्नों का चालान

Deeksha Mehra
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7 July 2025 3:42 PM IST

Chhattisgarh Liquor Scam : रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने सोमवार, 7 जुलाई 2025 को रायपुर की विशेष अदालत में 5,000 पन्नों से अधिक का चालान पेश किया। यह चालान 29 बंडलों में 20 से अधिक आबकारी अधिकारियों के खिलाफ है, जिन्हें इस घोटाले में आरोपी बनाया गया है। विशेष रूप से इनमें से किसी भी अधिकारी की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है और सभी वर्तमान में आबकारी विभाग में पदस्थ हैं।

जांच एजेंसी का दावा है कि ये अधिकारी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार (2019-2023) के दौरान नेताओं के इशारे पर शराब घोटाले में शामिल थे, जिससे राज्य को 2,161 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह चालान घोटाले में प्रत्येक अधिकारी की भूमिका को विस्तार से बताता है, जिसमें नकली होलोग्राम के जरिए अवैध शराब की बिक्री और कमीशन का खेल शामिल है।

घोटाले का स्वरूप और जांच का दावा

EOW की चार्जशीट के अनुसार, यह शराब घोटाला फरवरी 2019 से शुरू हुआ और 2023 तक चला। इस दौरान डिस्टलरी से निकलने वाली शराब पर डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर अवैध रूप से दुकानों तक पहुंचाया जाता था। तत्कालीन सहायक आयुक्त जनार्दन कौरव की निगरानी में नकली होलोग्राम अमित सिंह, दीपक दुआरी और प्रकाश शर्मा के माध्यम से तीन डिस्टलरियों—छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, भाटिया वाइन मर्चेंट और वेलकम डिस्टलरी- तक पहुंचाए जाते थे। वहां से यह शराब सीधे दुकानों में बिक्री के लिए भेजी जाती थी। जांच एजेंसी का दावा है कि इस अवैध कारोबार से अरुणपति त्रिपाठी को 20 करोड़ रुपये का कमीशन मिला।

चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि शुरुआत में हर महीने 800 पेटी शराब से लदे 200 ट्रक डिस्टलरियों से निकलते थे, जिन्हें प्रति पेटी 2,840 रुपये में बेचा जाता था। बाद में यह संख्या बढ़कर 400 ट्रक प्रतिमाह हो गई, और प्रति पेटी की कीमत 3,880 रुपये हो गई।

तीन साल में 60 लाख से अधिक पेटियां अवैध रूप से बेची गईं, जिससे 2,174.60 करोड़ रुपये की कमाई हुई। जिला आबकारी अधिकारियों ने शराब सप्लायरों से 319 करोड़ रुपये की वसूली की, जो एक संगठित सिंडिकेट को पहुंचाई गई। अप्रैल 2019 से जून 2022 तक 280 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई, जिसमें हर साल 70 करोड़ रुपये से अधिक का टारगेट रखा गया था।

सिंडिकेट के कोर ग्रुप में आरोपियों की भूमिका

ईओडब्ल्यू ने चार्जशीट में सिंडिकेट के प्रमुख सदस्यों और उनकी भूमिकाओं का उल्लेख किया है:

अनिल टुटेजा: वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव। सिंडिकेट के संरक्षक की भूमिका में थे, जो समग्र नियंत्रण और संरक्षण प्रदान करते थे।

अनवर ढेबर: होटल कारोबारी। सिंडिकेट का गठन किया और धन के वितरण की योजना बनाई, जिसमें प्रत्येक सदस्य का हिस्सा तय किया गया।

अरुणपति त्रिपाठी: छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के तत्कालीन प्रबंध निदेशक। मैनपावर सप्लाई, कैश कलेक्शन, होलोग्राम सप्लाई, और शराब परिवहन का काम अपने लोगों को दिलाया।

विकास अग्रवाल: नकली होलोग्राम वाली शराब की सप्लाई के बाद धन वसूली और उसे ढेबर के निर्देशानुसार तय स्थानों पर पहुंचाने का काम करता था।

अरविंद सिंह: अपनी पत्नी के नाम से खाली बोतल बनाने का प्लांट स्थापित किया। नकली होलोग्राम और खाली बोतलें उपलब्ध कराता था, साथ ही धन संग्रह और शराब परिवहन की जिम्मेदारी थी।

त्रिलोक सिंह ढिल्लन: पुराना शराब ठेकेदार और होटल कारोबारी। अपनी कंपनियों के माध्यम से धन इकट्ठा करता था और अचल संपत्तियों में निवेश कर अवैध कमाई की खपत करता था।

आरोपित आबकारी अधिकारियों की सूची

ईओडब्ल्यू ने निम्नलिखित 21 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ चालान में उनकी भूमिका का उल्लेख किया है, जिन पर अवैध शराब बिक्री और कमीशन वसूली का आरोप है:

निरंजन दास (तत्कालीन आबकारी आयुक्त, IAS)

जनार्दन कौरव (तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी, रायपुर)

अनिमेष नेताम (तत्कालीन उपायुक्त आबकारी, धमतरी)

विजय सेन शर्मा (तत्कालीन उपायुक्त आबकारी, महासमुंद)

अरविंद कुमार पटेल (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी)

प्रमोद कुमार नेताम (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी)

रामकृष्ण मिश्रा (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी)

विकास कुमार गोस्वामी (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी)

इकबाल खान (तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी)

नीतिन खंडजा (तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी)

नवीन प्रताप सिंह तोमर (तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी)

मंजूश्री कसेर (तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी)

सौरभ बख्शी (तत्कालीन सहायक आयुक्त)

दिनकर वासनिक (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी)

अशोक कुमार सिंह (तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी)

मोहित कुमार जायसवाल (जिला आबकारी अधिकारी)

नीतू नोतानी (आबकारी उपायुक्त)

रविश तिवारी (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी)

गरीबपाल दर्दी (आबकारी अधिकारी)

नोहर ठाकुर (आबकारी अधिकारी)

सोनल नेताम (आबकारी सहायक आयुक्त)


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