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बिहार में वोटर रिवीजन पूरा, 65 लाख मतदाताओं के हटाए गए नाम
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Bihar news: बिहार में वोटर रिवीजन पूरा, 65 लाख मतदाताओं के हटाए गए नाम

Swadesh Editor
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27 July 2025 9:00 PM IST

Bihar news: बिहार में चुनाव आयोग ने स्पेशल इटेंसिव रिवीजन (SIR) के पहले चरण का आखिरी आंकड़ा जारी कर दिया है।

Bihar news: बिहार में चुनाव आयोग ने स्पेशल इटेंसिव रिवीजन (SIR) के पहले चरण का आखिरी आंकड़ा जारी कर दिया है। इसके मुताबिक अब राज्य में कुल 7.24 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। जबकि 65 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। यह कदम आयोग ने मृतकों, विस्थापितों, विदेश में रह रहे लोगों और जो दूसरी जगह स्थायी रूप से चले गए हैं। चुनाव आयोग ने बताया कि 24 जून 2025 को राज्य में 7.89 करोड़ मतदाता थे। लेकिन SIR प्रक्रिया के दौरान इनमें से 7.24 करोड़ लोगों ने ही अपनी जानकारी दी। बाकी जिनके नाम हटाए गए, उनमें 22 लाख लोग ऐसे थे जिनकी मौत हो चुकी है, 36 लाख विस्थापित पाए गए और करीब 7 लाख लोग स्थायी रूप से किसी दूसरी जगह शिफ्ट हो गए थे।

घर- घर जाकर इकठ्ठा किया गया डाटा

इस विशेष अभियान के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) और एजेंट्स (BLA) ने घर-घर जाकर गणना प्रपत्र इकट्ठा किए। 25 जुलाई तक यह काम लगभग पूरा कर लिया गया और 99.8% मतदाताओं की जानकारी रिकॉर्ड कर ली गई। इस दौरान BLA की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। अब राज्य में 1.60 लाख से ज्यादा बीएलए काम कर रहे हैं, जो पहले से 16% ज्यादा हैं। अब 1 अगस्त से 1 सितंबर तक उन लोगों को मौका मिलेगा जिनके नाम गलती से छूट गए हैं। वे ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाने के लिए आवेदन कर सकेंगे। चुनाव आयोग का कहना है कि अगर किसी का नाम एक से ज्यादा जगहों पर दर्ज है तो उसे सिर्फ एक ही स्थान पर रखा जाएगा।

SIR पर हो रहा बवाल

इस प्रक्रिया को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। राजद, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस SIR प्रक्रिया को “बैकडोर एनआरसी” करार दिया है। उनका आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। तेजस्वी यादव का कहना है कि बिहार में केवल 2.8% लोगों के पास 2001-2005 के बीच का जन्म प्रमाणपत्र है, जिससे हजारों-लाखों लोगों के नाम हटने का खतरा है।

विपक्ष का कहना है कि यह सब NDA को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। हालांकि चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए की जा रही है और कोई भी योग्य नागरिक अपने मताधिकार से वंचित नहीं होगा।

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