14 नवंबर 1780 का वह प्रतिबंध जिससे हुआ एक परंपरा का जन्म
योगेन्द्र माथुर
समाचार पत्र-पत्रिकाएं आज इंसान की जिंदगी के महत्वपूर्ण अंग बन चुके हैं। सुबह बिस्तर से उठ कर चाय की चुस्कियों के साथ अखबार के माध्यम से दुनियाभर की ताजा खबरों का जायका लेना एक आम इंसान की पहली जरूरत बन चुकी है। लोगों की इस जरूरत की पूर्ति करने में "हॉकर" का महत्वपूर्ण योगदान होता है, जो उनके जागने-उठने से पूर्व उनके दरवाजे तक अखबार पहुंचाने की जिम्मेदारी का निर्वहन करता है।
भारत में घर-घर अखबार पहुंचाने की इस व्यवस्था, प्रथा या परंपरा की शुरुआत कैसे हुई, इसका किस्सा भारत में पत्रकारिता की शुरुआत के प्रसंग से ही जुड़ा है। 29 जनवरी सन 1780 को ईस्ट इंडिया कंपनी के एक कर्मचारी जेम्स ऑगस्ट हिक्की ने कलकत्ता ( अब कोलकाता ) से "बंगाल गजट" नामक पत्र प्रकाशित किया जो " हिक्की गजट" के नाम से प्रसिद्ध हुआ। भारत मे पत्रकारिता का जन्म इसी समाचार पत्र से माना जाता है। जेम्स ऑगस्ट हिक्की इस अखबार को डाक के द्वारा घर-घर पहुंचाने लगे।
"हिक्की गजट" में जब ईस्ट इंडिया कम्पनी के घोटालों को लेकर टीका-टिप्पणी की जाने लगी तो तत्कालीन गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स ने 14 नवम्बर 1780 को हिक्की गजट के डाक से वितरण पर रोक लगा दी। लेकिन हिक्की भी इतनी जल्दी कहां झुकने वाले थे। उन्होंने कुछ युवाओं को पैसा देकर उनके द्वारा घर-घर अखबार पहुंचाना शुरू कर दिया। इस तरह एक प्रतिबंध घर-घर अखबार पहुंचाने की व्यवस्था, प्रथा या परम्परा का जन्मदाता बन गया।
बाद में जब हिक्की की कलम ने वारेन हेस्टिंग्स पर भी प्रहार करना आरंभ किया तो वारेन हेस्टिंग्स का गुस्सा बढ़ गया और उन्होंने हिक्की के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी। जून 1781 में उस पर जुर्माना कर उसे एक साल कैद की सजा दी गई और अंततः मार्च 1782 में हिक्की गजट का छापाखाना ( प्रिंटिंग प्रेस ) जब्त कर लिया गया। इस तरह भारत का पहला समाचार पत्र सत्ता के आघात का शिकार बन गया। हिक्की गजट का प्रकाशन तो बंद हो गया, लेकिन हॉकरों के माध्यम से घर-घर अखबार पहुंचाने का जो सिलसिला "हिक्की गजट" के माध्यम से शुरू हुआ वह लगभग 245 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज भी बदस्तूर जारी है।
(लेखक पिछले 38 से वर्षों से लेखन में सक्रिय हैं)