नई दिल्ली। दिल्ली के रोहिणी इलाके में झारखंड से तस्करी कर लाई बच्चियों से घरों में काम कराया जा रहा था। जब बचपन बचाओ की टीम ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो को बताया कि किस तरह से बच्चियों को रोहिणी के एक मकान में बंद करके रखा गया है। तो खुद प्रियंक कानूनगो इन बच्चियों को बचाने के लिए निकल पड़े।
इससे पहले भी की मौकों पर खुद चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने बच्चों को रेस्क्यू कराया है। झारखंड के विभिन्न इलाकों से तस्करी कर लाई गई इन 9 बच्चियों की उम्र 18 साल से कम हैं और ज्य़ादातर को अच्छे पैसे का लालच देकर यहां लाया गया है। प्रियंक कानूनगो ने स्वदेश को बताया कि हम कई संगठनों की मदद लेकर इस तरह के मामलों पर नज़र बनाए रखते हैं और जैसे ही आज बचपन बचाओ की टीम से टिप मिली तो हम तुरंत ही रोहिणी के लिए निकल गए। जहां स्थानीय पुलिस की मदद से हमने इन बच्चियों को रेस्क्यू कराया है। हालांकि इस मामले में दिल्ली सरकार का आचरण बहुत ही खराब रहा है। हमने बच्चियों को तो रेस्क्यू करा लिया। लेकिन दिल्ली सरकार का कोई विभाग अब इन बच्चियों को शेल्टर नहीं दे रहा है। इस प्लेसमेंट एजेंसी को दाउद नाम का एक शख्स चला रहा था। जबकि इसका दूसरा साथी सुगड़ मौका देखकर भाग गया।
दरअसल दिल्ली सरकार ना तो इन अवैध प्लेसमेंट एजेंसियों को बंद कर रही है और ना ही इन्हें नियमित कर रही हैं। इसलिए पूरी दिल्ली में आदिवासी इलाकों से बच्चियों की तस्करी जारी है।