जन्मदिन पर सोनिया गांधी को दिल्ली कोर्ट का नोटिस: वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने पर सवाल

सोनिया गांधी को 1980–81 वोटर लिस्ट विवाद पर दिल्ली कोर्ट का नोटिस। 6 जनवरी तक जवाब जरूरी। पूरा रिकॉर्ड तलब।

Update: 2025-12-09 13:43 GMT

नई दिल्ली। राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया है। मामला लगभग चार दशक पुराना है,  अदालत ने न सिर्फ याचिका पर ध्यान दिया, बल्कि राज्य सरकार को भी नोटिस भेजकर पूरा रिकॉर्ड तलब कर लिया है। 

नागरिक बने बिना नाम वोटर लिस्ट में कैसे आया? 

याचिकाकर्ता विकास त्रिपाठी ने दावा किया है कि सोनिया गांधी का नाम 1980-81 की नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में मौजूद था, जबकि वह भारतीय नागरिक अप्रैल 1983 में बनीं। सवाल यह कि क्या वोटर सूची में नाम गलत तरीके से जोड़ा गया था? अदालत ने इस दावे की जांच के लिए पूरा TCR (Traced Court Record) मंगवाया है। 

सुनवाई की अगली तारीख 6 जनवरी

विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) विशाल गोगने की अदालत ने सोनिया गांधी और दिल्ली सरकार दोनों को 6 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस दौरान दोनों पक्षों को बताना होगा कि वोटर लिस्ट में ऐसा कैसे हुआ।

इससे पहले याचिका खारिज हो चुकी थी 

11 सितंबर को एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने यह याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि अदालत चुनाव से जुड़े संवैधानिक अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। उनका तर्क था कि ऐसा करना अनुच्छेद 329 का उल्लंघन होगा। लेकिन अब ऊपरी अदालत ने वही मामला नए सिरे से सुनने का फैसला किया है ।

बीजेपी ने क्या कहा था?

13 अगस्त को भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी सवाल उठाया था कि सोनिया गांधी का नाम भारत की वोटर लिस्ट में दो बार था वह भी उस दौर में जब वे भारतीय नागरिक नहीं थीं। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा था कि यह “चुनावी कानून के साफ उल्लंघन” का मामला है। मालवीय ने यह भी कहा कि यही वजह है कि राहुल गांधी अवैध या अयोग्य मतदाताओं को वैध करने के पक्ष में रहते हैं। 


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