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सांसद आदर्श गांव चीनौर में शुरू हुई साबुन की यूनिट

सांसद आदर्श गांव चीनौर में शुरू हुई साबुन की यूनिट
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पीयर्स के स्तर का बनाया जा रहा है आजीविका साबुन, ग्रामीण परिवारों की गरीबी दूर करने के प्रयास तेज
ग्वालियर|
भितरवार विकासखंड के सांसद आदर्श गांव चीनौर में 26 स्व-सहायता समूहों को जोड़कर गठित किए गए ग्राम संगठन द्वारा साबुन बनाने की यूनिट शुरू की गई है, जिसमें लेमन, चंदन, रोज, एलोवेरा, केशर फ्लोवर के साबुन का निर्माण किया जा रहा है। इस साबुन को ‘आजीविका साबुन’ नाम दिया गया है, जो गुणवत्ता में पीयर्स साबुन से कम नहीं है। इसके अलावा गरीब ग्रामीण परिवारों को रोजगार से जोड़ने के लिए जिले में अन्य स्थानों पर भी विभिन्न उत्पादों के लिए ऐसी ही यूनिटें शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार केन्द्र प्रवर्तित पं. दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से ग्वालियर जिले में ग्रामीण गरीब परिवारों को रोजगार से जोड़कर उनकी गरीबी दूर करने के प्रयास तेज हो गए हैं। इसके लिए प्रथम चरण में ग्वालियर सांसद एवं केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा गोद लिए गए सांसद आदर्श गांव चीनौर में साबुन की यूनिट शुरू की गई है। इस यूनिट का संचालन चीनौर गांव के 26 स्व-सहायता समूहों को जोड़कर गठित किया गया ग्राम संगठन कर रहा है। बताया गया है कि गांव के 26 स्व-सहायता समूहों से करीब 300 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। फिलहाल प्रत्येक स्व-सहायता समूह से एक से दो कुल 20 महिलाओं को इस यूनिट में काम दिया गया है। इन महिलाओं को पन्ना से आए स्व-सहायता समूह के प्रशिक्षकों से प्रशिक्षण दिलाया गया था।

विगत छह माह पूर्व अगस्त 2017 में प्रारंभ की गई इस यूनिट में अब तक लगभग 20 हजार साबुन बनाए जा चुके हैं। हाल ही में मध्यान्ह भोजन योजना (एमडीएम) से साबुन खरीदी का अनुबंध भी हुआ है, जिसके तहत चीनौर की यह यूनिट पूरे मध्यप्रदेश में एमडीएम को 18 रुपए प्रति साबुन की दर से आजीविका साबुन की आपूर्ति करेगी। पहली किश्त में एमडीएम की ओर से 18 हजार साबुन का आर्डर मिला है। आजीविका साबुन निर्माण के लिए कच्चा माल गुजरात के अहमदाबाद से मंगाया जा रहा है। सौ ग्राम के इस साबुन की उत्पादन लागत लगभग 15 रुपए है, जबकि इसकी कीमत प्रति साबुन 25 रुपए तय की गई है, लेकिन व्यापारियों को थोक में यह साबुन 20 रुपए की दर से बेचा जाएगा।

जिलाधीश ने रेडक्रॉस से उपलब्ध कराया था बजट:- बताया गया है कि चीनौर में साबुन की यूनिट शुरू करने के लिए ग्राम संगठन के पास बजट का अभाव था। जब यह मामला जिलाधीश राहुल जैन के समक्ष रखा गया तो उन्होंने रेडक्रॉस सोसायटी से 3.50 लाख रुपए बतौर ऋण उपलब्ध कराए। बताया गया है कि साबुन की इस यूनिट से जिले भर के 600 स्व-सहायता समूहों से जुड़े लगभग सात हजार परिवारों को जोड़ा गया है, जो अपने उपयोग के लिए इसी यूनिट से साबुन खरीदेंगे।

सेनेट्री नैपकिन यूनिट भी होंगी स्थापित
मिशन के जिला प्रबंधक डॉ. उपाध्याय ने बताया कि भितरवार विकासखंड के चीनौर और मुरार विकासखंड में सेनेट्री नैपकिन निर्माण के लिए यूनिट स्थापित करने की योजना भी प्रस्तावित है। नैपकिन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग और आपूर्ति के उद्देश्य से प्रचार-प्रसार और महिलाओं को जागरुक करने का काम सिंधिया कन्या विद्यालय की छात्राओं को दिया जाएगा। इसके लिए उक्त विद्यालय की प्राचार्य से चर्चा हो चुकी है। इसके अलावा जिले के विभिन्न गांवों में यूनिट स्थापित कर कपड़ा धोने का सर्फ सहित दैनिक उपयोग की विभिन्न वस्तुएं बनाने का काम शुरू करने पर भी विचार किया जा रहा है। इस प्रकार अगले एक साल में रोजगार के क्षेत्र में ग्वालियर जिले में बहुत कुछ नया देखने को मिलेगा।

प्रदेश के 43 जिलों में चल रही हैं विभिन्न यूनिटें
मिशन के जिला प्रबंधक डॉ. उपाध्याय ने बताया कि केन्द्र पोषित पं. दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से प्रदेश के 43 जिलों में हल्दी, बालों की मेहंदी, हाथ की मेहंदी, अंडर गारमेंट्स, स्वच्छ भारत अभियान की टी-शर्ट, स्कूली गणवेश, साबुन, अगरबत्ती आदि की यूनिटें संचालित हैं। इसके अलावा सात जिलों में आंगनबाड़ियों में बच्चों को वितरित की जाने वाली खाद्य सामग्री का निर्माण भी किया जा रहा है। श्योपुर जिले में प्रतिदिन 20 से 25 क्विंटल अगरबत्ती और मुल्तानी मिट्टी का साबुन का निर्माण किया जा रहा है।

स्कूली बच्चों की गणवेश निर्माण की यूनिटें भी शुरू होंगी
गरीब ग्रामीण परिवारों को घर बैठे रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिला पंचायत कार्यालय थाटीपुर में म.प्र. दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की शाखा स्थापित की गई है। मिशन के जिला प्रबंधक डॉ. राजेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग से हुए अनुबंध के अनुसार मिशन को नए शिक्षा सत्र में ग्वालियर जिले में सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए ढाई लाख गणवेश उपलब्ध कराने का आर्डर मिला है। इसके लिए जिले के विभिन्न गांवों में गणवेश निर्माण के लिए यूनिटें शुरू की जाएंगी। इसके लिए आधुनिक कटिंग मशीनें खरीदी जाएंगी, जिसमें लगभग 700 महिलाओं को काम मिलेगा। स्कूली गणवेश के अलावा इन यूनिटों में महिलाओं को स्कूली बैग, रेडीमेड गारमेंट्स, पेटीकोट, ट्रैक सूट आदि बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। स्कूली बच्चों की गणवेश के लिए निजी स्कूलों से भी संपर्क किया जाएगा।

तेलंगाना से प्रशिक्षण देने आती हैं प्रशिक्षित महिलाएं
मिशन के जिला प्रबंधक डॉ. उपाध्याय ने बताया कि पं. दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से मध्यप्रदेश में आंध्रप्रदेश की तर्ज पर रोजगार के साधन प्रारंभ किए जा रहे हैं। ग्वालियर जिले में इसका प्रशिक्षण देने के लिए तेलंगाना से 15 प्रशिक्षित महिलाएं 45 दिनों के लिए आती हैं। इसके बाद कुछ दिनों के लिए वह वापस चली जाती हैं। इनमें से पांच-पांच महिलाएं तीन-तीन गांवों में 15-15 दिन तक महिलाओं के साथ रहकर उन्हें अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर स्वरोजगार का प्रशिक्षण देने के साथ इसके लिए उन्हें पे्ररित करने का काम भी करती हैं। इसके साथ ही आधुनिक खेती-किसानी के बारे में भी जानकारी देती हैं। इस तरह 45 दिनों में उक्त महिलाएं नौ गांवों में प्रशिक्षण देने का काम करती हैं। अब तक उक्त महिलाएं 18 गांवों में महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर चुकी हैं। वर्तमान में तेलंगाना की 15 महिलाएं तीसरी बार विगत शनिवार को ग्वालियर पहुंचीं, जो भितरवार विकासखंड के गांवों में रुकी हुई हैं। इसी प्रकार मध्यप्रदेश की प्रशिक्षित महिलाएं पंजाब व हरियाणा में जैविक खेती, स्व-सहायता समूह का गठन और प्रसंस्करण बनाने का प्रशिक्षण देने के लिए जाती हैं।

Updated : 7 Feb 2018 12:00 AM GMT
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