देश के 11 पिछड़े राज्यों में 3 साल तक शिक्षण कार्य करेंगे 1225 सहायक प्रोफेसर

देश के 11 पिछड़े राज्यों में 3 साल तक शिक्षण कार्य करेंगे 1225 सहायक प्रोफेसर
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नई दिल्ली । देश के पिछड़े राज्यों और जिलों में गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा मुहैया कराने के लिए प्रतिष्ठित संस्थानों से शिक्षकों का चयन पूरा हो गया है। तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्यूआईपी) के तीसरे चरण में देश के 11 पिछड़े राज्यों के 53 संस्थानों के लिए 1225 सहायक प्रोफेसरों का चयन हुआ है।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में बताया कि टीईक्यूआईपी-तीन के तहत अखिल भारतीय आधार पर इस शिक्षक चयन प्रक्रिया में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (एनआईटी), भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) से उपाधि प्राप्त छात्रों को चुना गया है। इनमें 293 पीएचडी और 932 स्नातकोत्तर हैं। ये 70 हजार रुपए मासिक वेतनमान पर सहायक प्रोफेसर के रूप में अध्यापन कार्य करेंगे। नरेन्द्र मोदी सरकार की इस अभिनव योजना के लिए तीन अरब 75 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह योजना अभी तीन वर्षों के लिए है।

उन्होंने बताया कि शिक्षक चयन प्रक्रिया के अंतर्गत पांच हजार आवदेनों में से अंडमान निकोबार, असम, बिहार, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मध्यप्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के लिए 1225 शिक्षक चुने गए हैं। इसमें सबसे अधिक 301 शिक्षक राजस्थान, बिहार में 210, मध्य प्रदेश में 194 और झारखंड में 191 शिक्षक चुने गए हैं। इनमें सबसे अधिक शिक्षकों की कमी वाले सात जिले जैसे गया, कालाहांडी, मुजफ्फरपुर, विदिशा, दुमका, रामगढ़ और हजारीबाग शामिल हैं।

जावड़ेकर ने बताया कि देश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षकों की कमी होती थी। अविकसित और दूर-दराज के कॉलेजों में जाने के लिए प्राध्यापक तैयार नहीं होते थे। इस कमी से लाखों प्रतिभाशाली छात्रों को अच्छी तकनीकी शिक्षा नहीं मिलती थी। इस कमी को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना विकासशील राज्यों को भी विकसित राज्यों के साथ लाने की बात करते हैं। टीईक्यूआईपी के तीसरे चरण में कांग्रेस शासन काल के बीमारू राज्यों के 53 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में भारी रिक्तियां थीं। इन्हें भरने के लिए इस कार्यक्रम के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक नई पहल की। मंत्रालय ने खुले रूप से लोगों को यंग एमटेक और यंग पीएचडी को तीन साल इन राज्यों में छात्रों को पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया। इसके लिए आईआईटी, एनआईटी, आईआईएसईआर और आईआईआईटी जैसे अच्छे संस्थानों के छात्रों ने देशभक्ति की भावना से ग्रामीण भारत की सेवा करने के लिए ऐसे पांच हजार से ज्यादा छात्रों ने आवेदन किए। इसमें से पूरी प्रक्रिया के बाद 1225 ऐसे अध्यापकों की नियुक्ति की है और इन सभी ने 11 राज्यों के 53 इंजीनियरिंग कॉलेजों में ज्वाइन कर लिया है। इसमें सात अधिक जरूरत वाले जिले भी हैं जिनमें गया, कालाहांडी, मुजफ्फरपुर, विदिशा, दुमका, रामगढ़ और हजारीबाग शामिल हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। उन्होंने बताया कि इससे एक लाख इंजीनियरिंग के छात्रों को इन राज्यों में इसका फायदा होगा।

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