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सामाजिक सरोकार की पर्याय एकात्म यात्रा

सामाजिक सरोकार की पर्याय एकात्म यात्रा
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नर्मदा नदी के जल, मृदा संरक्षण, स्वच्छता, प्रदूषण की रोकथाम, जैविक कृषि के प्रोत्साहन और तटीय क्षेत्रों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने प्रदेश में निकाली गई नमामि देवि नर्मदे-नर्मदा सेवा यात्रा की सफलता के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा एकात्म यात्रा आदि गुरू शंकराचार्य से संबंधित प्रदेश के चार स्थानों ओंकारेश्वर, उज्जैन, पचमठा (रीवा) एवं अमरकंटक से प्रारंभ की गई है जो 22 जनवरी को ओंकारेश्वर में एकाग्र होगी। मध्यप्रदेश सरकार आदि शंकराचार्य के अप्रतिम दर्शन और जीवन के पावन स्मरण स्वरूप एकात्म यात्रा का आयोजन कर रही है। 19 दिसम्बर 2017 से प्रारंभ हुई एकात्म यात्रा 22 जनवरी 2018 तक निरंतर जारी रहने के साथ ही हर जिले में पहुंचेगी। यात्रा का उद्देश्य अद्धैत वेदांत दर्शन में प्रतिपादित जीव, जगत एवं जगदीश के एकात्म बोध के प्रति जन-जागरण, आदि गुरू के अतुलनीय योगदान के बारे में जन-जागरण तथा ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की प्रतिमा की स्थापना के लिये धातु संग्रहण और ओंकारेश्वर को विश्व स्तरीय वेदांत दर्शन केन्द्र के रूप में विकसित करना है। पैंतीस दिवसीय इस यात्रा में 140 जन-संवाद होंगे। इस यात्रा में प्रतिदिन आदि शंकाराचार्य के जीवन और कृतित्व पर एक कार्यक्रम होगा और अष्टधातु की प्रतिमा निर्माण के लिये समाज के सभी वर्गों से प्रतीक स्वरूप धातु संग्रहण किया जायेगा। संग्रहित धातु से ओंकारेश्वर में 108 फीट ऊंची आदि गुरू शंकराचार्य की विशाल धातु प्रतिमा स्थापित की जायेगी, जिसका भूमि-पूजन 23 जनवरी 2018 को किया जाना है।

हाल ही में मंडला जिले में पहुंची एकात्म यात्रा ने जो मिसाल कायम की है और जो उत्साह वहां के लोगों ने दिखाया है उससे एक बात तो साफ हो गई है कि यात्रा अपने मार्ग पर और भी अधिक उत्साह से आगे बढ़ेगी। मंडला कलेक्टर श्रीमती सूफिया फारूकी वली ने साम्प्रदायिक सौहार्द और सामाजिक समरसता की अनोखी मिसाल कायम की है। पिछले काफी दिनों से वह एकात्म यात्रा की तैयारी में जोरशोर से तो लगी थी, लेकिन यात्रा के जिले में प्रवेश करते ही उनका एक अलग रूप देखने को मिला। कलेक्टर सूफिया फारूकी वली ने न केवल यात्रा का स्वागत किया बल्कि आदि शंकराचार्य की चरण पादुकाएं भी अपने सर पर धारण की। कलेक्टर के चरण पादुकाएं और ध्वज धारण करते ही यात्रा में एक नया उत्साह भर गया और जोरदार नारे लगने शुरू हो गए। कलेक्टर आरती में भी शामिल हुई और कन्याओं का पूजन भी किया। इस दौरान जगह-जगह पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया गया। कलेक्टर का यह अंदाज लोगों को काफी पसंद आया और देखते ही देखते कलेक्टर का चरण पादुकाएं थामे फोटो सोशल मीडिया में तारीफों के साथ शेयर होने लगा।

हालांकि इसके बाद राजनीति भी शुरू हो गई, लेकिन कलेक्टर सूफिया फारूकी वली ने जिस तरह सर्वधर्म समभाव को सर्वोपरि बताया है इससे सभी की आंखे खुल गई हैं। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक कलेक्टर सूफिया फारूकी वली ने कहा है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया थी। एक कलेक्टर होने के नाते सामाजिक समरसता के लिए कोशिश करना हमारा कर्तव्य है। मैं हिंदू ही नहीं सिख, मुस्लिम और ईसाई समुदाय के कार्यक्रमों में भी शामिल होती हूं। छुआछूत खत्म करने के लिए मैंने सामाजिक समरसता कार्यक्रम में भी भोजन किया है। यह निजी नहीं, बल्कि एक सरकारी कार्यक्रम था। कलेक्टर होने के नाते मुझे ही इस कार्यक्रम की अगुवाई करनी थी। कई जगह कलेक्टर ही मठ और मंदिर के प्रमुख होते हैं। यह मेरी ड्यूटी का हिस्सा है। मैं दर्शनशास्त्र की छात्रा रही हूं। मैंने शंकराचार्य का अद्वैतवाद के बारे में काफी गहराई से पढ़ा है। यह निरंकारी शंकर की बात करता है। जिसका कोई आकार नहीं, कोई धर्म नहीं। इस लिहाज से यह सर्वधर्म समभाव ही तो है। भोपाल शहर की रहने वालीं सूफिया फारूखी 2009 बैच की आईएएस अफसर हैं। वे वर्तमान में मंडला कलेक्टर के तौर पर पदस्थ हैं।

कलेक्टर सूफिया फारूकी वली द्वारा एकात्म यात्रा के दौरान आदि शंकराचार्य की चरण पादुकाएं भी अपने सर पर धारण कर गंगा जमुनी तहजीब का उदाहरण प्रस्तुत किया है वह समाज के सामने एक आदर्श है। सूफिया के कृतित्व से मुस्लिम समाज से भी एकात्म यात्रा को सकारात्मक सहयोग मिलने की संभावना है। मंडला कलेक्टर द्वारा शंकराचार्य की चरण पादुका उठाये जाने को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। मप्र विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह चरण पादुकाएं उठाया जाना सिविल सेवा आचरण संहिता का उल्लंघन बताया है। उन्होंने कहा है कि लोक सेवकों को इस तरह की राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से बचना चाहिए। वहीं नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि सिर पर पादुका रखने से किसी को कैसे रोक सकते हैं। कांग्रेस को आरोप लगाने के सिवाय कोई काम नहीं। वे अच्छी नजीर न पेश कर सकते हैं, न करने देंगे।

मध्यप्रदेश की भूमि धन्य और पवित्र है। आचार्य शंकर का समूचा वांगमय यहीं रचा गया, ओंकारेश्वर में गुरु गोविंदपादाचार्य के सान्निध्य में। मध्यप्रदेश की भूमि उनकी गुरु भूमि है। यहीं से शंकर दिग्विजय यात्रा शुरू हुई। प्रख्यात विद्वान मंडन मिश्र से शास्त्रार्थ यहीं हुआ। महिष्मति जिसे आज मंडला के नाम से जाना जाता है। इस कड़ी में हमारी विन्ध्य भूमि की महत्ता आचार्य शंकर के श्रीचरणों ने और बढ़ा दी। विद्वानों के शोध बताते हैं कि उनकी दक्षिण से उत्तर की यात्रा का वही पथ था जो भगवान राम का चित्रकूट से दंडकारण्य का था। वे अब के बस्तर की इंद्रावती और महानदी को पार करते हुए अमरकंटक पहुँचे। यहाँ माँ नर्मदा का ध्यान किया और यहीं से प्रदक्षिणा करते हुए ओंकारेश्वर पहुँचे। ओंकारेश्वर में गुरु गोविंदपादाचार्य के दर्शन कर उनका शिष्यत्व ग्रहण किया। वेदांत सूत्र, उपनिषदों के भाष्य और प्रस्थानत्रयी की रचना यहीं हुई। विद्वानों के अनुसार 16 वर्ष की आयु में ये सब रचकर वे बौद्धिक दिग्विजय यात्रा पर निकले।

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 19 दिसंबर से प्रारंभ हुई यह यात्रा 18 दिनों का सफर तय कर चुकी है, जगह जगह जिस तरह से इस यात्रा का स्वागत हो रहा है भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ ही जनअभियान परिषद और सामाजिक संस्थानों का सहयोग देखने को मिल रहा है उसे भाजपा अपनी राजनैतिक उपलब्धियों में गिन रही हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री एकात्म यात्रा निकाल कर सामान्य वर्ग के मतदाताओं को साधने का प्रयास कर रहे हैं, 12 साल के कार्यकाल में पहले नर्मदा जी को प्रदूषण से मुक्त कराने नर्मदा सेवा यात्रा और अब एकात्म यात्रा कहीं न कहीं इस बात के द्योतक है कि बुनियादी मुद्दों के साथ ही अब अन्य समस्याओं को और इवेंट आयोजित कर मतदाताओं को आकर्षित करना पड़ेगा। प्रदेश सरकार द्वारा जिस उद्देश्य को लेकर एकात्म यात्रा शुरू की गई है वह अपने उद्देश्य पर निरंतर आगे बढ़ती रहे इसके लिए सबसे जरूरी है कि इसे राजनीतिक रंंग देने के बजाय उसकी सफलता पर ध्यान देना होगा ताकि सर्वधर्म समभाव की मिसाल हमेशा कायम रहे।

Updated : 6 Jan 2018 12:00 AM GMT
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