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दिग्गी की यह पद यात्रा नहीं, प्रायश्चित यात्रा है

दिग्गी की यह पद यात्रा नहीं, प्रायश्चित यात्रा है
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कभी पानी पी-पी कर हिन्दू धर्म की बखिया उधेड़ने वाला कांग्रेस का प्रमुख नेता आज नर्मदा यात्रा पर है, दिग्गी ने तमाम अवसरों पर हिन्दू धर्म पर ऐसे-ऐसे प्रत्यक्ष अरोप लगाये थे जिनकी उनसे आशा नहीं की जा सकती थी। एक जिम्मेदार व्यक्ति जो मध्यप्रदेश का दो बार मुख्यमंत्री रहा हो तथा जिसकी पार्टी कांग्रेस धर्म निरपेक्षता का पालन करने का स्वांग रचती हो ऐसे माहौल में उस समय लगता था कि कौन पार्टी गाइड लाइन का पालन सही तरह से कर रहा है। वैसे हिन्दुत्व को गाली देने वाले अकेले दिग्विजय सिंह ही नहीं थे, उस समय कांग्रेस की केन्द्रीय समिति के कई नेता जैसे मणि शंकर अय्यर, कपिल सिब्बल आदि भी शामिल थे लेकिन उन्हें किसी धार्मिक यात्रा पर जाने की जरुरत महसूस नहीं हुई। दिग्विजयसिंह को ही इस नर्मदा नदी की धार्मिक यात्रा करने की सुध कैसे और क्यों आ गई और आज के वातावरण को देखकर यह प्रश्न लाजिमी है कि एक हिन्दू विरोधी बयानवीर पद यात्रा पर क्यों? चूंकि कुछ समय पूर्व दिग्विजयसिंह प्रण भी ले चुके हैं जिसमें कुछ समय तक किसी भी तरह का चुनाव नहीं लड़ना आदि। 30 सितम्बर 2017 से खालिस पद यात्रा पर 2950 किलो मीटर चलकर वह नर्मदा मैया से क्या मांग रहे हैं।

यह तो वही जाने लेकिन कभी चुप न रहने वाला नेता जिसे चुप रहना कभी आया ही नहीं आज पद यात्रा में मौन है, बेशक भारतीय धर्म दर्शन मौन व्रत को बेहद शक्तिशाली मानता है। लेकिन दिग्गी राजा के इस मौन में क्या रहस्य छुपा है वह तो समय ही बताएगा चूंकि प्रदेश में अगले वर्ष चुनाव भी आने वाले हैं और यह यात्रा भी अभी लम्बी चलने वाली है। यात्रा में आने वाला खर्च और साथ में चलने वालों की व्यवस्था कैसे और कौन कर रहा है इसे भी जनता को जानने का शायद कोई अधिकार हो। लेकिन यह डंके की चौट पर कहा जा सकता है कि दिग्विजय सिंह की यह यात्रा धार्मिक तो नहीं यह यात्रा प्रायश्चित यात्रा है जो हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे और सार्वजनिक मंच से हिन्दुत्व को दुत्कारते रहे आज वह उसी का शायद प्रायश्चित कर रहे हैं। सवाल यह भी है कि क्या दिग्विजय सिंह फिर से अपना राजनीतिक उत्थान चाहते हैं, क्योंकि प्रदेश में हमेशा से ही यह मान्यता रही है कि नर्मदा मैया की कृपा से कई काम आसानी से पूर्ण हो जाते हैं। संभवत: दिग्विजय सिंह की यह यात्रा भी उनके राजनीतिक सपने को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम ही हो। खैर यह बात तो सिद्ध हो ही रही है कि वर्तमान में बिना हिन्दुत्व के राजनीतिक उत्थान संभव नहीं हो सकता, यह बात जब पूरी कांगे्रस के समझ में आ गई है, तब दिग्विजय सिंह कैसे पीछे रहते। हो सकता है कि भविष्य में अब हिन्दुत्व को कोसना मुश्किल ही होगा।


मुकेश घनघोरिया, घाटीगांव

Updated : 29 Jan 2018 12:00 AM GMT
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