Home > Archived > हड़ताल से पीछे हटे चिकित्सक, तीन घंटे बाद पहुंचे ओपीडी में

हड़ताल से पीछे हटे चिकित्सक, तीन घंटे बाद पहुंचे ओपीडी में

हड़ताल से पीछे हटे चिकित्सक, तीन घंटे बाद पहुंचे ओपीडी में
X

दूर-दराज से उपचार कराने आए मरीज लौटे वापस, हुई परेशानी


ग्वालियर, न.सं.। सातवें वेतन आयोग का लाभ चिकित्सक, नर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ को न दिए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर चिकित्सकों ने एक दिन का सामूहिक अवकाश और नर्स व पैरामेडिकल स्टॉफ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी। इसी के चलते संयुक्त मोर्चा मेडिकल टीचर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन के बैनर तले मंगलवार को नर्स व पैरामेडिकल स्टॉफ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है, लेकिन चिकित्सक एक दिन के सामूहिक अवकाश से पीछे हट गए और तीन घंटे बाद ही ओपीडी में वापस लौट गए।

जिसको लेकर अब यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि चिकित्सकों में भी दो गुट हो गए थे, कुछ चिकित्सकों ने हड़ताल पर जाने की सहमति नहीं दी थी, जिस कारण अन्य चिकित्सकों को काम पर लौटना पड़ा। हालांकि मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि मरीजों की परेशानी देखते हुए वह काम पर लौटे हैं, अगर शासन उनकी मांगों को पूरा नहीं करेगा तो चिकित्सक आंदोलन करेंगे। हड़ताल के दौरान उपचार के लिए आने वाले मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। अस्पताल में सिर्फ आपातकालीन आॅपरेशन, एक्सरे ही किए गए। वही ओपीडी में दिखाने आने वाले मरीजों की खून की कोई भी जांच नहीं हुई और सीटी स्कैन व एक्सरे की फिल्म नहीं दी गई। इसके साथ ही किडनी के मरीजों की डायलिसिस, कैंसर के रोगियों की कोबाल्ट थैरेपी नहीं हो पाई। जिसके चलते मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं अस्पताल में करीब 25 मरीजों के आॅपरेशन नहीं हो सके। केवल आपातकालीन आॅपरेशन, तथा एक्सरे ही किए गए। अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को यह कहकर वापस कर दिया गया कि नर्सेस व पैरामेडिकल स्टाफ हड़ताल पर है, इसलिए सिर्फ भर्ती मरीजों का ही रक्त नमूना जांच के लिए लिया जाएगा। हड़ताल के दौरान नर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ ने नर्स छात्रावास के बाहर धरना भी दिया।
वहीं अस्पताल की बिगड़ रही व्यवस्थाओं को देखते हुए संचालक चिकित्सा शिक्षा द्वारा अधिष्ठाता को पत्र जारी करते हुए कहा है कि महाविद्यालयों में कार्यरत स्वशासी सेवकों को सातवें वेतनमान स्वीकृति के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है।

इसलिए अगर स्वशासी सेवक हड़ताल पर जाते हैं तो उन पर एक पक्षीय अनुशासनात्मक कार्यवाही करें। जिसको लेकर महाविद्यालय के प्रभारी अधिष्ठाता डॉ. अचल गुप्ता और अस्पताल अधीक्षक डॉ. जे.एस. सिकरवार भी उन्हें मनाने पहुंचे। लेकिन संगठन की संयोजक रेखा परमार ने दो टूक शब्दों में कहा कि जब तक उन्हें लिखित में आश्वासन नहीं दिया जाता तब तक हड़ताल समाप्त नहीं करेंगे। भिण्ड से मां को लेकर आया बेटा ,इंतजार कर लौटा:- चिकित्सकों के अवकाश पर जाने की सूचना दूर-दराज के आने वाले मरीजों को नहीं थी, जिस कारण मरीज बिना उपचार के ही लौट गए। भिण्ड फूफ निवासी सतीश ने बताया कि वह अपनी 72 वर्षीय मां सूरजमुखी को डॉ. पुनीत रस्तोगी को दिखाने के लिए सुबह 8 बजे ही ओपीडी में पहुंच गए थे, लेकिन यहां आकर उन्हें पता चला कि चिकित्सक हड़ताल पर हंै, जिस कारण उन्हें अपनी मां को लेकर वापस लौटना पड़ा।

कई चिकित्सकों को ही नहीं थी हड़ताल की सूचना

मेडिकल टीचर्स एसोसिशन द्वारा सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा तो कर दी गई थी, लेकिन कई चिकित्सकों को यह पता ही नहीं था कि उन्हें सामूहिक अवकाश पर जाना है। जिस कारण कई चिकित्सकों ने अवकाश में शामिल होने से इंकार कर दिया था।

रोते हुए अस्पताल पहुंचे बच्चे, कहा- हमारे दोस्त की मदद करो

हड़ताल के दौरान कुछ बच्चे अपने दोस्त को अस्पताल लेकर पहुंचे और चिकित्सकों से उपचार की गुहार लगाई। गोल पहाड़िया निवासी दसवीं कक्षा का छात्र मनीष धाकड़ अपने दोस्त साहिल और आदर्श के साथ रॉक्सी से घर साइकिल से जा रहा था। रास्ते में साइकिल गिर जाने के कारण मनीष के हाथ में चोट लग गई , जिसे उसके दोस्त अस्पताल लेकर पहुंचे। मनीष दर्द से तड़प रहा था और उसे कोई स्टॉफ यह बताने तक को तैयार नहीं था कि वह कहां दिखाएं। परेशान होकर मनीष जैसे-तैसे आर्थोपेडिक के चिकित्सक डॉ. आर.के.एस. धाकड़ के पास पहुंचा तो उन्होंने हाथ देखते हुए एक्सरे कराने की बात कही। लेकिन एक्सरे के लिए बच्चे करीब आधे घंटे तक परेशान होते रहे, फिर बाद में एक जूनियर चिकित्सक उसके साथ गया और एक्सरे कराया।

वार्डों में तैनात रहे जूनियर चिकित्सक

मंगलवार को वार्डों में मरीजों को सुबह- शाम इंजेक्शन लगाने सहित ड्रिप चढ़ाने एवं देखभाल के काम के लिए प्रबंधन ने जूनियर चिकित्सकों की देखरेख में नर्सिंग कॉलेज के छात्र वार्ड में तैनात थे। अस्पताल में करीब 150 छात्र-छात्राओं की ड्यूटी लगाई गई थी, लेकिन इसमें कई छात्र ऐसे भी थे जिन्हें इंजेक्शन तक लगाना नहीं आ रहा था।

Updated : 17 Jan 2018 12:00 AM GMT
Next Story
Top