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हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में हलफनामा दायर करे जेपी एसोसिएट्स

हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में हलफनामा दायर करे जेपी एसोसिएट्स
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जेएएल के स्वतंत्र निदेशकों को देश छोड़कर जाने तथा अपनी संपत्तियों पर तीसरे पक्ष से कोई करार नहीं करने के निर्देश


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड ( जेएएल ) को निर्देश दिया कि वो अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में हलफनामा दायर करे। कोर्ट ने इस मामले में एमिकस क्युरी पवन अग्रवाल को निर्देश दिया कि वो फ्लैट खरीददारों को अपना दावा पेश करने के लिए पोर्टल बनाएं।

इसके साथ ही कोर्ट ने जेएएल के स्वतंत्र निदेशकों को देश छोड़कर जाने से मना कर दिया और सुनवाई की हर तिथि पर कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया। कोर्ट ने जेएएल को निर्देश दिया कि वे अपनी संपत्तियों पर तीसरे पक्ष से कोई करार नहीं करेंगे।रिजर्व बैंक द्वारा जेएएल को दिवालिया प्रक्रिया में पक्षकार बनाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट बाद में विचार करेगा। 9 जनवरी को रिजर्व बैंक ने जेएएल को दिवालिया प्रक्रिया में पक्षकार बनाने की इजाजत देने की मांग की थी। फिलहाल अभी जेपीइंफ्राटेक ही दिवालिया प्रक्रिया का पक्षकार है।

15 दिसंबर 2017 को जेपी समूह ने सुप्रीम कोर्ट में 150 करोड़ रुपए जमा किया था और सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि 125 करोड़ रुपए जमा करने के लिए एक महीने का समय दिया जाए। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 125 करोड़ रुपए 25 जनवरी तक जमा करने के निर्देश दिए थे।इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने जेपी समूह के निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को बिना कोर्ट की अनुमति के अपनी व्यक्तिगत संपत्ति बेचने से मना कर दिया था। जेपी समूह द्वारा दो हजार करोड़ रुपए जमा न कर पाने की स्थिति में कोर्ट ने उन्हें किश्तों में रकम जमा करने का निर्देश दिया था।

18 सितंबर 2017 को जेपी समूह के करीब चार सौ फ्लैट खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया और मांग की कि उपभोक्ता कानून के तहत उन्हें सुरक्षा प्रदान दी जाए। इन फ्लैट खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि जेपी एसोसिएट्स की संपत्ति को जेपीइंफ्राटेक को ट्रांसफर किए जाने के मामले की जांच की जाए।

Updated : 10 Jan 2018 12:00 AM GMT
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