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ब्लू व्हेल गेम : बच्चों के लिए एडिशनल एस. पी. श्री योगेश्वर शर्मा का फेसबुक पर एक भावुक पोस्ट ...

ब्लू व्हेल गेम : बच्चों के लिए एडिशनल एस. पी.   श्री योगेश्वर शर्मा का फेसबुक पर एक भावुक पोस्ट ...
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ग्वालियर/स्वदेश डिजिटल। देश के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी ब्लू ह्वेल गेम के दीवानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रतिदिन एक - दो केस देखने को मिल रहे है, विगत दिनों प्रदेश के दमोह जिले में एक छात्र के इस जानलेवा वीडियो गेम के चक्कर में फंसकर ट्रेन से कटकर जान देने के बाद जहां देशभर में इसका विरोध हो रहा है वहीं मध्य प्रदेश के चार बड़े शहरों में इसे इंटरनेट पर सर्च करने वालों का आंकड़ा सामने आया है। पता चला है कि ग्वालियर और जबलपुर ने राजधानी भोपाल और इंदौर को पीछे छोड़ दिया है। ऐसे में देश कि आने वाली पीढ़ी इस भंवर में फस गयी है, इसी को ध्यान में रखते हुए
ग्वालियर में पदस्थ एडिशनल एस. पी. श्री योगेश्वर शर्मा
ने प्यारे बच्चों के साथ समाज के जिम्मेदार नागरिकों के लिए फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है, जिसमे उन्होंने कहा है कि प्रोग्राम को तकनीकी रूप से प्रतिबंधित करने के मात्र से समस्या का पूर्णहल नही होगा वरन् बच्चे ऐसे प्रोग्रामो की ओर आकर्षित न हो, ऐसी सामाजिक व्यवस्था, ऐसी परवरिश की जरूरत है।
"श्री योगेश्वर शर्मा द्वारा फेसबुक पर लिखित एक भावुक पोस्ट"
मेरे प्यारे बच्चो,
एक दानव रचित कंप्यूटर प्रोग्राम 'ब्लूव्हेल' के काल-भँवर में फस कर तुम्हारा असमय कालकवलित हो जाना जीवनभर की असह्य पीड़ा देने वाला है । मुझे विश्वास है की जब तुम जाने अनजाने में इस प्रोग्राम के दलदल में फंसते चले जा रहे थे तो तुमने स्वयं को बचाने के लिये हम लोगो को करुण ,मार्मिक स्वर में जरूर पुकारा होगा ,किन्तु जब तुमने देखा होगा कि हम अपने मे अस्त-व्यस्त है, तुम्हारे प्रति बेपरवाह,लापरवाह होकर काल्पनिक जगत में विचरण कर रहे है तो तुमने अंत मे हताशा,निराशा में डूब कर बेमन से जीवन के अंतिम मार्ग पर जाने का कुसंकल्प लिया होगा । आज ये बहुमंजिला इमारतों की सुनी उचाइयां,ये पंखों पर लटके खाली फंदे,ये रक्त रंजित शोर करती पटरियां तुम्हारी दारुण दशा की व्यथा को कम उजागर करती बल्कि हमारी शिक्षा,संस्कृति,संस्कार एवं परवरिश के खोखलेपन पर क्रूरअट्टहास करते अधिक नजर आती है। तुम्हारे इस प्रकार जाने से हममें न तो स्वयं ,न ही बच्चो से नजरे मिलने का सामर्थ्य बचा है। मैं सम्पूर्ण समाज की ओर से प्रणिपात कर बध्दांजली होकर तुन लोगो से मन से क्षमा माँगता हूँ औऱ यह स्वीकार्य करता हूँ कि तुम्हारी असामयिक स्वआहुति कहीं न कहीं हमारी लापरवाही,बेरुखी,व्यस्तता के ढोंग से निर्मित हवनकुंड में हुई है।
मेरे लालो,
हम अपनी सभी गलतियां स्वीकार करते है पर बेटा हमे जीवन पर्यंत पछतावे की आग में जलने के लिये छोड़ने से पहले हमें एक बार ठीक से झंझकोर तो लेते ,पिताजी नही सुन रहे थे तो उनके गले मे लिपट जाते, माँ की छाती से चिपक जाते, बहन के पैर पकड़ लेते ,भाई की कमीज खीच लेते ,अरे दोस्त की पिटाई कर देते ,बेटा तेरे ये अभागे अपने कब तक तुझे अनदेखा करते पर तुमने बेटा एक मिनिट में पराया कर दिया, जरा भी नही सोचा तुम्हारे अभाव की विपन्नता से अभिशप्त हमारी जिंदगी के बारे में । बच्चे कलेजा फटा जाता है ,रात की नींद औऱ दिन का चैन कल्पना की बाते हो गयी है, खून के आँसू रोते है।
प्यारे बच्चो,
हम आपको वापिस लाने में सक्षम तो नही है पर आगे आप जैसे बच्चो के रक्त से कोई पटरी तिलक करें ,यह मौका न आये ,इसके लिये पूर्ण प्रयास अवश्य करेंगे। एक कंप्यूटर प्रोग्राम को मानव मस्तिष्क का अधिपति बनने से ,साहस के साथ रोकेंगे। मैं जानता हूँ तुम यह कहना चाहते हो कि तुम्हारे कोमल संवेदनशील हदय के पन्ने पर काल्पनिक भय ,लोक उपहास की स्याही से कुविचारों ने बहुत पहले से ही अंतिमपथ-गमन की पटकथा लिख दी थी जिसका मंचन मात्र इस ' कलंकित प्रोग्राम' के रूप में हुआ। मैं तुम्हारे भावो को समझ रहा हूँ, केवल इस प्रोग्राम को तकनीकी रूप से प्रतिबंधित करने के मात्र से समस्या का पूर्णहल नही होगा वरन् तुम्हारे जैसे बच्चे ऐसे प्रोग्रामो की ओर आकर्षित न हो ,ऐसी सामाजिक व्यवस्था, ऐसी परवरिश की जरूरत है।
साथियों,
मै तो निकल गया हूँ इस संकल्प को पूरा करने के लिये, आपमे साहस है साथ आने का ?
सावधान ,भावनात्मक संवेग में हमराही होने वालों की जरूरत नही है। क्योकि जिसने समाज/परिवार को पराया/शत्रु समझ कर, यहाँ की हवा को प्रदूषित समझ कर, यहाँ के भोजन को त्याज्य समझ कर अपनी सभी समस्यों का समाधान 'जीवन से पलायन ' मान कर उस मार्ग पर कदम बड़ा दिया है उसे जीवन की मुख्यधारा में वापिस लाने की लिये असीम धैर्य,सकारात्मकता, सद्भावना एवं मधुरभाष जैसे सद्गुणों की जरूरत है। यदि आप ऐसे साहसी है तो अपने आसपास के अतिसंवेदनशील, एकाकी जीवन जीने वाले, अति अल्प भाषी, हर बात पर संजीदा होने वाले/तनाव लेने वाले बच्चों से अपनेपन वाला दोस्ताना व्यवहार कर उनकी समस्या का जड़ से उन्मूलन करने का प्रयास करो।
- योगेश्वर शर्मा

Updated : 9 Sep 2017 12:00 AM GMT
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