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बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन कांड के तीन आरोपी गिरफ्तार

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन कांड  के तीन आरोपी गिरफ्तार
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गोरखपुर। बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई मासूमों की मौत प्रकरण में आरोपी डॉ. कफील को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। मंगलवार को इस मामले में पूर्व प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र व डॉ. पूर्णिमा शुक्ला को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। बच्चों की मौत के जिम्मेदार तीन आरोपियों को अब तक गिरफ्तार जिया जा चुका है। शेष की तलाश जारी है। गुरुवार को कोर्ट ने पूर्व प्राचार्य व उनकी पत्नी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। पूर्व प्राचार्य व उनकी पत्नी को जेल के बाद पुलिस पर अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी का दबाव बढ़ गया था। शुक्रवार को शेष सात आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया था। सभी सातों आरोपी फरार थे। इनकी तलाश में लगातार छापेमारी चल रही थी लेकिन किसी का पता नहीं चल रहा था। अब जाकर तीसरे आरोपी डॉ. कफील की गिरफ्तारी हो सकी है। अब भी छह आरोपी पुलिस की पहुंच से बाहर हैं।

आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 308, 120बी, 420, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 8, इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 के सेक्शन 15, आईटी एक्ट 2000 के सेक्शन 66 के तहत केस दर्ज है। लिक्विड ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता पुष्पा सेल्स का मनीष भंडारी फरार बताया जा रहा है। बताय जा रहा है कि पुष्पा सेल्स में ऑक्सीजन की सप्लाई ठप कर दी थी। ऑक्सीजन जीवनरक्षक है। इसकी आपूर्ती बंद करना गुनाह है। इसके लिए आपूर्तिकर्ता मनीष भंडारी के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था, वह भी अभी फरार है।

लेखा विभाग भी मौत के मंजर की पटकथा लिखने में अहम सहयोग का गुनाहगार है। जिस कमीशन की बात हो रही उसकी नींव यहीं है। हालांकि, भेजी गई रपट के अनुसार इन पर आरोप है कि जब शासन से बजट आया तो प्राचार्य को बताने में लेटलतीफी की गई। उनके पास पत्रावली देर से पेश की गई। इन आरोपों में कार्यालय सहायक उदय प्रताप शर्मा, लिपिक संजय कुमार त्रिपाठी व सहायक लेखाकार सुधीर कुमार पांडेय की लिप्तता पाई गई। इस लिए इनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई। ये तीनों फरार हैं।

रिपोर्ट के अनुसार बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्रा का अपने ही स्टाफ व सहयोगी डॉक्टर्स पर कोई प्रभाव नहीं। इनके आदेशों की अनदेखी तक करते रहे। यहां तक कि आपूर्ति बंद होने की चेतावनी सम्बंधित सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई। हद तो यह कि मेडिकल कॉलेज में इतने बड़े संकट की आशंका को जानने के बाद भी नौ अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे के तत्काल बाद छुट्टी पर चले गए। उनपर खुद मुख्यमंत्री भी आरोप लगा चुके हैं कि वह दो दिन पहले चार घंटे तक मेडिकल कॉलेज में रहे लेकिन एक बार भी इस संभावित संकट पर चर्चा नहीं की। इसलिए इनपर केस दर्ज हुआ और जेल भेजे गए।

रिपोर्ट के अनुसार ऑक्सीजन की सप्लाई की सुनिश्चितता डॉ.सतीश कुमार पर ही थी। डॉ.सतीश ऑक्सीजन की उपलब्धता सम्बंधित व स्टॉक आदि के प्रभारी थे लेकिन इन्होंने कभी भी स्टॉक रजिस्टर या लॉग बुक चेक करने की जहमत नहीं उठाई। ऐसे में जब अस्पताल में ऑक्सीजन के लिए अफरा-तफरी मची तो बिना किसी सूचना के डॉ सतीश 11 अगस्त को मुंबई चले गए। इसके अलावा कई अन्य गौर जिम्मेदाराना कार्य को लेकर इनपर केस हुआ, ये भी फरार हैं।

डॉ. सतीश कुमार के साथ आक्सीजन की उपलब्धता, लॉग बुक और स्टाक बुक का जिम्मा गजानन जायसवाल पर भी था। लॉग बुक व स्टॉक बुक में अनियमित इंट्री और कई जगह आंकड़ों में बाजीगरी दिखाने के जुर्म में इन पर भी केस दर्ज हुआ है। फिलहाल ये भी फरार हैं।

Updated : 2 Sep 2017 12:00 AM GMT
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