पहले पाठ के प्रथम प्रश्न का उत्तर तक नहीं आता

पहले पाठ के प्रथम प्रश्न का उत्तर तक नहीं आता
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-मामला शा. मा.वि. ललितपुर कॉलोनी का
ग्वालियर। समय मध्यान्ह तीन बजे, कक्षाएं छह, सात और आठ में पढ़ाई तो जरूर हो रही है, लेकिन बच्चों के कुछ समझ में नहीं आ रहा है। स्कूल में अधिकतर बच्चे अनुपस्थित हैं। स्कूल में कई बच्चे बिना गणवेश (ड्रेस) के आए हैं। इन बच्चों की मजेदार बात यह है कि इनको हिन्दी के पहले पाठ के पहले प्रश्न का उत्तर तक नहीं आता है। शिक्षकों का जवाब यह है कि बच्चे जिन कक्षाओं से होकर आए हैं, वहीं से इनके ज्ञान का स्तर बहुत कम है। इनको पिछली कक्षाओं में सही ढंग से पढ़ाया ही नहीं गया। ऐसी स्थिति में हम क्या कर सकते हैं।

सरकारी स्कूलों की हालत दिन व दिन गिरती जा रही है। कहीं बच्चे पढ़ने के इच्छुक हैं तो उन्हें शिक्षक पढ़ाना नहीं चाहते और समय पर नहीं आते हैं। कहीं शिक्षक पढ़ाने के लिए तैयार हैं तो बच्चे पढ़ना नहीं चाहते हैं। दोनों ही स्थिति में बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। इसमें खास बात यह है कि शिक्षा विभाग के वरिष्ठ से वरिष्ठ अधिकारी इन स्कूलों का कहीं कोई निरीक्षण तक नहीं करते हैं। यहां सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है। स्कूली सूत्रों का कहना है कि शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी केवल मलाई काटने में लगे हुए हैं। इन्हें बच्चों के ज्ञान के स्तर से कोई मतलब नहीं है।

कार्रवाई के नाम पर हो रही है वसूली:- शिक्षा विभाग कहें या ज्ञान का मंदिर, अब यह स्थान पढ़ाई के स्थान पर मलाई काटने वाला विभाग बन गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस विभाग में अध्यापक से लेकर बड़े से बड़े अधिकारी मलाई काट रहे हैं। इस विभाग में स्थानांतरण होने, पदोन्नति होने, निजी स्कूलों को मान्यता देने, क्रमोन्नति व युक्तियुक्तकरण से जमकर कमाई हो रही है।

कक्षा छह का मामला:- यह हैं कक्षा छह की गुनगुन सेन। इनको अपने नाम की स्पेलिंग नहीं आती है। चार और तेरह तक का पहाड़ा भी नहीं आता है। 15 अगस्त और 26 जनवरी में क्या अंतर है? यह भी नहीं पता।

कक्षा सात का मामला

यह कक्षा सात में पढ़ने वाली तानिया कौशल हैं। शिक्षकों की लापरवाही के चलते इनको 89 तक लिखना नहीं आता है। रही बात पहाड़ों की तो वह दूर की बात है। इनको हिन्दी के पहले पाठ के प्रश्न-उत्तर तक याद नहीं हैं। यह बच्चे आगे कैसे बढ़ेंगे और कैसे कॉम्पटीशन फाइट करेंगे? यह एक बड़ा प्रश्न है।

इनका कहना है

‘बच्चों की स्थिति वास्तव में कमजोर है। यह बच्चे पिछली जिन कक्षाओं से होकर आए हैं, वहां इनको सही ढंग से पढ़ाया ही नहीं गया है, जिससे इनके ज्ञान का स्तर कमजोर है। रही बात गणवेश की तो अगर इनको गणवेश पहनने के लिए कहते हैं तो यह स्कूल ही आना बंद कर देते हैं।’

मधु दुबे
प्रभारी प्रधानाध्यापक
शा. मा.वि. ललितपुर कॉलोनी

आपको वर्ग और क्यूब नहीं आता है

गणित में वर्ग और क्यूब का महत्वपूर्ण पाठ है। कक्षा आठ में पढ़ने वाले दीपक मौर्य को गणित में क्यूब और वर्ग तक नहीं आते हैं। रजिस्टर में जो अंग्रेजी की एप्लीकेशन लिखी है, वह इनको याद नहीं है। बात यहीं पर खत्म नहीं होती। दीपक मौर्य कक्षा में बिना गणवेश के उपस्थित हुए हैं। वहीं कक्षा आठ में पढ़ने वाले देवेश को गणित में बहुत ही कम कुछ आता है। स्कूल की इस स्थिति को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि इन बच्चों के भविष्य का क्या होगा?

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