आॅन लाइन प्रक्रिया अल्ट्रासाउण्ड संचालकों को पड़ रही भारी

आॅन लाइन प्रक्रिया अल्ट्रासाउण्ड संचालकों को पड़ रही भारी
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सर्वर डाउन होने के कारण मरीजों को भी हो रही परेशानी

ग्वालियर/सुजान सिंह। शासन द्वारा इन दिनों अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों को एमपी आॅन लाइन पर रजिस्ट्रर कर दिया गया है, लेकिन सभी केन्द्र आॅन लाइन हो जाने के कारण अब रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सकों को गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउण्ड करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिस कारण प्रतिदिन शहर के कई चिकित्सक अपनी शिकायत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में दर्ज करा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी चिकित्सकों की परेशानी दूर नहीं हो पा रही और महिलाओं को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार विगत दिनों शहर में संचालित निजी अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों को शासन के आदेश अनुसार एमपी आॅन लाइन पर रजिस्ट्रर कर दिया गया। जिस कारण रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सकों को गर्भवती महिलाओं के फार्म अब एमपीआॅन लाइन के माध्यम से ही भरने पड़ रहे हैं, लेकिन सर्वर डाउन रहने के कारण चिकित्सकों को तो परेशानी हो ही रही है, साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी अल्ट्रासाउण्ड कराने के लिए घंटो इंतजार करना पड़ रहा है। आॅन लाइन सर्वर डाउन होने के कारण चिकित्सक अल्ट्रासाउण्ड का फार्म नहीं खोल पा रहे हैं, और अगर फार्म खुल भी जाता है तो फार्म भरने में कई परेशानी होती है। जिस कारण शहर के कई रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक इन दिनों अपनी शिकायतें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में दर्ज करवा रहे हैं। इतना ही नहीं केन्द्र आॅन लाइन हो जाने के कारण कई चिकित्सकों में तो इतना रोष है कि वह केन्द्र ही बंद करने के मूड में बैठे हैं। उल्लेखनीय है कि पहले लाड़ली योजना के तहत सभी केन्द्रों पर रखी मशीनों पर ट्रेकर लगे हुए थे, जिससे चिकित्सकों को अल्ट्रासाउण्ड करने में कोई परेशानी नहीं होती थी। लेकिन शासन के आदेश अनुसार यह ट्रेकर हटवा दिए गए हंै।

बिना मोबाइल के पहुंचे तो लौटना पड़ रहा वापस

एमपी आॅन लाइन के माध्यम से जब किसी गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउण्ड फार्म भरने से पहले महिला के मोबाइल में सबसे पहले बन टाइम पासवर्ड आता है, उस पासवर्ड के माध्यम से महिला का फार्म खुलता है। लेकिन कई महिलाएं ऐसी होती हैं जिनके पास मोबाइल तक नहीं होता। जिस कारण उन्हें बिना अल्ट्रासाउण्ड कराए ही वापस लौटना पड़ता है, इतना ही नहीं जिन महिलाओं के पास मोबाइल भी होता है तो सर्वर डाउन होने के कारण उनके मोबाइल में कई बार पासवर्ड नहीं पहुंचता। जिससे सबसे ज्यादा परेशानी बाहर से आई महिलाओं को उठानी पड़ती है।

एक अल्ट्रासाउण्ड में लग रहे 20 से 30 मिनट

अल्ट्रासाउण्ड की आॅनलाइन प्रक्रिया के कारण अब एक गर्भवती महिला को अल्ट्रासाउण्ड कराने के लिए लगभग 20 से 30 मिनट तक का इंतजार करना पड़ रहा है, जबकि पहले यह अल्ट्रासाउण्ड 10 मिनट में हो जाता था।

पंजीयन भी करवाना पड़ रहा आॅन लाइन

अगर कोई रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक अल्ट्रासाउण्ड केन्द्र का पंजीयन करना चाहता है तो उसे एमपी आन लाइन ही फार्म भरना पड़ेगा, साथ ही अगर किसी पुराने केन्द्र पर चिकित्सक बदलता है या मशीन दूसरी लगाई जाती है तो उसकी भी सूचना एमपी आॅन लाइन देनी होगी।

अगर यही व्यवस्था रही तो होगी फीस में वृद्धि

एमपी आन लाइन हो जाने के कारण गर्भवती महिलाओं को परेशानी हो रही है, अस्पताल में कई महिलाएं ऐसी आती हैं जिनके पास मोबाइल नहीं होते, और कुछ महिलाएं मोबाइल लेकर आती हैं तो उन्हें मैसेज देखना नहीं आता, शासन द्वारा जो व्यवस्था लागू की गई है, उससे बहुत परेशानी हो रही है। अल्ट्रासाउण्ड के लिए महिलाओं को कई समय तक इंतजार करना पड़ रहा है, जिससे मरीजों के परिजनों के साथ कई बार विवाद भी खड़ा हो जाता है। एमपी आॅनलाइन हो जाने के कारण हमें अलग से स्टॉफ रखना पड़ा, जिस कारण अल्ट्रासाउण्ड की फीस में भी वृद्धि होगी। हमें एक अल्ट्रासाउण्ड के लिए 13 पर्चे भरने पड़ते हैं, जिसका पैसा भी हमारे खाते से जाता है। शासन द्वारा जिस तरह से चिकित्सकों पर नियम लागू किए जा रहे हैं, उससे अब तो कई चिकित्सकों के बच्चे चिकित्सक बनने से दूर भाग रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो कोई चिकित्सा की पढ़ाई नहीं करेगा।

डॉ. रत्ना कौल
कौल हॉस्पीटल


पासवर्ड के लिए होती है सबसे ज्यादा परेशानी

आॅन लाइन हो जाने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी बन टाइम पासवर्ड जनरेट होने में लगती है, सर्वर डाउन होने के कारण कई बार तो महिलाओं को घंटों इंतजार करना पड़ता है, अगर बीच में बिजली चली जाती है तो पूरा फार्म दुबारा भरना पड़ता है।

डॉ. सुरेखा सप्रा
किलकारी हॉस्पीटल

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