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'सामाजिक वैमनस्य फैलाने' के लिए' कार्रवाई की मांग

देहरादून। कांग्रेस विधायक हरीश धामी का दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है। उन्होंने अपने ही विधानसभा क्षेत्र जिला पंचायत सदस्य पंय्यापौड़ी भूपेन्द्र सिंह थापा की नागरिकता का मुद्दा उठाकर अपने लिए बवाल मोल लिया है। गोरखा समाज इस मामले में लामबंद हो रहा है और विधायक हरीश धामी के विरुद्ध संघर्ष छेड़ने का मन बना रहा है।
इस पर कांग्रेस से ही जुड़े गोरखा समाज के कार्यकर्ता हरीश धामी की इस कार्रवाई का पुरजोर विरोध कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि सामाजिक वैमनस्य फैलाने के लिए हरीश धामी को दोषी माना जाए तथा उनसे उनके ऊपर कार्रवाई की जाए।

गोरखा समाज के लोगों का कहना है कि 1950 की भारत नेपाल मैत्री संधि के तहत गोरखा समाज को विशेष स्थान दिया गया था। वैसे भी भारत और नेपाल के रोटी-बेटी के सम्बंध हैं। ऐसे पय्या पौड़ी के सदस्य भूपेन्द्र थापा का मुद्दा विधानसभा में ले जाना इस राष्ट्रीय मैत्री का ही अपमान है।
समाज के लोगों का कहना है कि हरीश धामी ने पूरे गोरखा समाज का अपमान किया है, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी रंजीत कुमार सिंहा के 23 मार्च के आदेश को लेकर हरीश धामी बवाल मचा रहे हैं, वह पूरी तरह आधारहीन है। नेपाल के हजारों हजार लोग भारतीय सेना में अपना बलिदान करने को तैयार हैं और पूरे देश में एक नहीं सैकड़ों जनप्रतिनिधि ऐसे हैं जो अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विधायक हरीश धामी का यह दांव पूरी तरह गोरखा समाज को बदनाम करने वाला है, जो गोरखा समाज बर्दाश्त नहीं करेगा।


उन्होंने जिलाधिकारी के आदेश के बिन्दु चार का उल्लेख करते हुए कहा है कि भूपेन्द्र सिंह थापा ने जिलाधिकारी को अवगत कराया है कि मेरे पिता नर सिंह पुत्र राम सिंह, ग्राम डौडा, पट्टी पीपली, हाल तहसील कनालीछीना में स्थायी रूप से निवास करते थे। मेरे पिता सेना में सेवारत थे, जो 1950 के दशक में सेवानिवृत्ति के पश्चात उक्त ग्राम डौडा छोड़कर ग्राम पंय्यापौड़ी में रहने लगे। मैंने प्रारंभिक शिक्षा अपनी बुआ के यहां नेपाल के ग्राम लाली में प्राप्त की तथा हाईस्कूल दार्चुला नेपाल में रहकर किया। 1989 से 2000 तक मैंने दुकान चलाई और माओवादी गतिविधियां बढ़ने पर 2004 में धारचूला आ गा। 2014 में पय्यापौड़ी से चुनाव लड़ा और जीता। गोरखा समाज के लोगों का कहना है कि जिस समय भूपेन्द्र सिंह थापा ने चुनाव लड़ा था, उस समय हरीश धामी और उनके लोगों का कहना था कि उस समय ही उन्हें आपत्ति लगानी चाहिए थी।

1950 की भारत नेपाल मैत्री संधि की समीक्षा समायोजन व इसे अद्यतन करने पर भारत व नेपाल सहमत हुए हैं। दोनों देशों में सीमा के मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने का भी फैसला किया है ताकि अनैतिक तत्व इसका दुरुपयोग कर दोनों देशों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा नहीं कर सकें। प्रधानमंत्री मोदी तथा नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने हाल ही में संपन्न दोनों देशों के संयुक्त आयोग की बैठक के उस निर्णय का स्वागत किया है जिसमें दोनों देशों के सचिवों को बैठक कर 1950 की संधि की समीक्षा की गई। मैत्री संधि के वर्तमान प्रावधानों के तहत नेपाल के नागरिकों को भारत में ऐसी सुविधाएं प्राप्त हैं जो किसी अन्य देश के नागरिक को नहीं हैं। वे भारत में भारतीय नागरिकों के बराबर सुविधाएं व अवसर पाते हैं।

गोरखा समाज के वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं आंदोलनकारी नरेंद्र कुमार क्षेत्री का कहना है कि भारत नेपाल की 1950 की संधि शायद हरीश धामी को याद नहीं होगी। उन्होंने गोरखा समाज को बदनाम करने की कोशिश की। यदि आपत्ति थी तो चुनाव के दौरान क्यों नहीं हुई।

Updated : 17 Jun 2017 12:00 AM GMT
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