प्लास्टिक की बोरियों में गांठ लगाकर बनाई चादर, स्ट्रेचर के लिए मांगे रुपए

प्लास्टिक की बोरियों में गांठ लगाकर बनाई चादर, स्ट्रेचर के लिए मांगे रुपए
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जयारोग्य में फिर सामने आई शर्मसार कर देने वाली घटना
स्टेचर नहीं दिया तो बोरे पर लिटा कर ले गए मरीज को

ग्वालियर/सुजान सिंह| अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य चिकित्सालय में बुधवार को मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। जिससे अब जयारोग्य में बेहतर व्यवस्थाओं का दावा करने वाले प्रबंधन पर सवाल खड़े हो गए हैं। अस्पताल में अपने बेटे के उपचार की आस लेकर पहुंचे पिता को वहां उपस्थित कर्मचारियों ने स्ट्रेचर तक मुहैया कराना मुनासिब नहीं समझा और उसके बाद जो हुआ, उसने अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार मुरैना कौंथर गांव निवासी कैलाश सिंह तोमर का 30 वर्षीय बेटा मुकेश बुधवार को कुएं में गिर गया था, जिससे उसे काफी चोट आई और वह गंभीर रूप से घायल हो गया।

मुकेश को घायल अवस्था में आनन-फानन में गांव के अन्य लोगों ने उसे उपचार के लिए मुरैना जिला अस्पताल में पहुंचाया। लेकिन मुकेश की हालत ज्यादा गम्भीर होने के कारण चिकित्सकों ने उसे तत्काल जयारोग्य चिकित्सालय ले जाने की सलाह दी। इसी के चलते कैलाश सिंह अपने बेटे मुकेश को सुबह लगभग 10 बजे जयारोग्य के ट्रॉमा सेन्टर में एम्बूलेंस से लेकर पहुंचे, ट्रॉमा सेन्टर पहुंचते ही कैलाश ने स्ट्रेचर तलाशा, लेकिन उसे स्ट्रेचर नहीं मिला। इस पर कैलाश ने वहां उपस्थित सुरक्षागार्ड से स्टेÑचर उपलब्ध कराने के लिए गुहार लगाई, तो उसने कैलाश को कैजुअल्टी में जाने की बात कही, फिर कैलाश दौड़ते हुए कैजुअल्टी पहुंचे और वहां उपस्थित कर्मचारी से स्ट्रेचर मांगा। लेकिन हद तो तब हो गई जब स्टेÑचर के पास मौजूद कर्मचारी ने स्ट्रेचर देने से पहले 100 रूपए जमा कराने की बात कह डाली। कर्मचारी ने कैलाश से कहा कि पहले 100 रूपए जमा कराओ, फिर स्ट्रेचर मिलेगा और जब स्ट्रेचर वापस करोगे तो पैसे वापस कर दिए जाएंगे। लेकिन कैलाश की जेब में दस रूपए भी नहीं थे, कैलाश स्टचर देने के लिए कर्मचारी से गुहार लगाते रहे। लेकिन कर्मचारी का दिल नहीं पसीजा और वह 100 रूपए जमा करने की बात पर अड़ा रहा। इस पर कैलाश ने ट्रॉमा सेन्टर के बाहर पड़ी प्लास्टिक की बोरियों को एकत्रित कर आपस में बांधा और बोरियों की चादर बना कर घायल मुकेश को लिटाया और ट्रॉमा के बाहर खड़े अन्य लोगों की मदद से ट्रॉमा के अंदर ले गया। अंदर पहुंचते ही चिकित्सकों ने बोरियां हटवाईं और उसका उपचार शुरू किया । उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी कई बार कर्मचारियों की कर्तव्यहीनता ने मानवता को शर्मसार किया है, लेकिन उसके बाद भी अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही है।

भर्ती के लिए भी मांगे पैसे
कैलाश सिंह की परेशानी यहीं नहीं थमी , चिकित्सकों ने घायल मुकेश का उपचार तो शुरू किया और साथ ही उसे भर्ती की पर्ची कटवाने के लिए भेज दिया। जिस पर कैलाश सेन्ट्रल विन्डो पर पर्ची कटवाने पहुंचे तो वहां उपस्थित आॅपरेटर ने भी उससे 100 रूपए जमा करने की बात कही। लेकिन कैलाश के पास पैसे नहीं थे, जिस पर आॅपरेटर ने उसे सीएमओ से लिखवाने की बात कही। इस पर वह दुबारा चिकित्सकों के पास पहुंचे और चिकित्सक को बात बताई। जिस पर चिकित्सक ने भर्ती की पर्ची नि:शुल्क करने के लिए लिखा तब जाकर भर्ती की पर्ची कट सकी।

मरीजों के लिए कोई नहीं उठाता आवाज
जयारोग्य में अगर कोई चिकित्सक पर गाज गिरती है तो उसके समर्थन में कई चिकित्सक आ जाते हैं, लेकिन जब मानवता को शर्मसार करने जैसी घटनाएं मरीजों के साथ होती हैं तो उनके लिए कोई चिकित्सक न तो आवाज उठाता है और न ही उन गरीब मरीजों की समस्या का समाधान करता , इस तरह की घटनाएं जयारोग्य में प्रतिदिन हो रही हैं,मगर सुनने वाला कोई नहीं है।

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