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साहब, वसूली करना कटर-हवलदार का काम है

ग्वालियर| यही कलि काल है, साहब। जो सुनेगा उसका सर शर्म से झुक जायेगा। परिवहन आयुक्त को विभाग का राजा माना जाता है। लेकिन दुर्भाग्य कि विभाग को ऐसे परिवहन आयुक्त मिले हैं जिन्होंने विभाग की पूरी शान मिट्टी में मिला दी। जो काम हवलदार व कटर किया करते थे वही काम करने के संकेत आयुक्त ने दे दिये हैं। यह कहना है चैक पोस्ट पर तैनात एक हताश व निराश इंस्पेक्टर का।

चैक पोस्टों से जो खबरें आ रही हैं उसमें बताया जा रहा है कि हमने तो कारोबार बंद कर रखा है। लेकिन मुखिया जी कह रहे हैं कि ट्रांसपोर्टर्स से मंथली लाओ। मुझे दो। मैं बंटवारा करूंगा। किसको क्या देना है। एक उच्च स्तर के अधिकारी के मुंह से निकली ये बातें कितनी शोभायमान हैं। यह समझा जा सकता है, यह तृष्णा की पराकाष्ठा है।

परिवहन मंत्री के सख्त निर्देश के चलते प्रायवेट स्टाफ को परिवहन बैरियरों से रुखसत कर दिया गया है। ये बात मुखिया जी को नागवार गुजरी। जमी जमाई दुकान का बंद हो जाना किसे अच्छा लगेगा। विभाग के अधिकारी भी हैरान कि कमाई हम करें और सामान इन्हें सौंप दें।

महोबा के मुखिया जी की कुण्डली में परिवहन आयुक्त बनने का योग था। सो वे बन गये। सारे ऐश्वर्य संपन्नता, समृद्धि, सिफारिशें। सभी कुछ तो हैं। क्या कमी है। फिर भी बैरियरों की एण्ट्री के लिए परेशान हैं। अखबार में खबर दो तो कहते हैं कि आप कुछ भी छाप रहे हैं। अब साहब को यह कौन बताये कि हम उस रजिस्टर की शोभा नहीं बढ़ाते जिसमें इस बिरादरी के तमाम नाम शोभायमान हैं।

सेंधवा सिस्टम लागू करने के प्रयास
परिवहन विभाग पर अवैध उगाही के लिए अब सेंधवा सिस्टम लागू करने के प्रयास हैं। पूर्व में एक बार एक माह के लिये निश्चित राशि हजार, दो हजार, तीन हजार के टोकन दिये जाते थे। ये राशि लाखों में एकत्रित हो जाती थी। उसे कटर अपने पास रखता था। इसमें सरकारी कर्मचारी सुरक्षित रहते थे। सेंधवा सिस्टम में प्रत्येक वाहन जितनी बार भी चैक पोस्ट से गुजरेगा उतनी बार उसे भेंट देना होती है। इसके लिये अब स्टीकर नहीं लगेंगे। जितने फेरे उतने पैसे। अब ये काम सिपाही व हवलदार कर रहे हैं इसमें एक पेच यह है कि पूर्व में चैक पोस्ट पर तैनात अधिकारी, कर्मचारी पन्द्रह दिन बैरियर और पन्द्रह दिन कोठी पर विश्राम लेकिन अब स्थिति बदल गई है, जो बैरियर पर रहेगा वह पायेगा। घर बैठे के पैसे नहीं मिलेंगे। यह काम ज्यादातर बैरियरों पर धड़ल्ले से चल रहा है। इसी जमा पूंजी पर अब मुखिया जी की निगाह है। विभाग न हुआ फैक्ट्री हो गई और मुखिया जी जीएम बन गये।
दिखावे के लिये एंट्री बंद
परिवहन विभाग के चैक पोस्ट नाकों पर एंट्री बंद करने का ढिंढोरा इसलिए पीटा गया ताकि जहां जहां मंथली जाती है वह न देना पड़े। वर्तमान में मालथोन, सिकन्दरा, खिलचीपुर, मुलताई, सेंधवा एवं शाहपुर फाटा नाकों पर परिवहन विभाग का स्टाफ ही वसूली करने में लगा है। कुछ वाहन मालिकों की शिकायत पर शाहपुर फाटा चैक पोस्ट प्रभारी को परिवहन आयुक्त ने वसूली को लेकर नोटिस जारी किया है। लेकिन नोटिस पर कोई कार्यवाही होना असंभव है। चैकपोस्ट प्रभारी सीएस खरे का ज्यादातर समय शाहपुर फाटा बैरियर पर ही निकला है और वे अपनी तगड़ी जुगाड़ के चलते घूम फिर कर वहीं पहुंच जाते हैं।
चैक पोस्ट पर पूरा स्टाफ तलब
परिवहन बैरियरों से प्रायवेट स्टाफ हटाये जाने के बाद अवैध वसूली न होने से परिवहन अधिकारियों व कर्मचारियों का मई का महीना आर्थिक तंगी में बीत गया। इसके बावजूद भी शाहपुर फाटा, मालथौन, खिलचीपुर के अलावा ऐसे छोटे बैरियर जहां एएसआई और हवलदार बतौर प्रभारी तैनात हैं, वहां परिवहन के सिपाहियों द्वारा चोरी छिपे एंट्री की जाती रही।
‘ऊपर मना नीचे काम घना’ तर्ज पर ये काम चुपचाप चलता रहा। किसी को कुछ नहीं देना। माल सब अपना।
जून माह खाली न चला जाये। इसके लिये प्रभारियों ने पूरे स्टाफ को बैरियर पर बुला लिया है। परिवहन विभाग में छह-छह माह के रोटेशन की प्रथा है लेकिन बैरियर पर रोटेशन में रोटेशन चलता है। प्रत्येक कर्मचारी बैरियर पर दस-बारह दिन नौकरी करता है। शेष समय घर में गुलछर्रे उड़ाता है।
परिवहन निरीक्षक एक जून से आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं। वे चाहते हैं कि गुपचुप तरीके से काम चलता रहे। दूसरी तरफ विभाग को मंत्री के संदेश का इंतजार है। परिवहन बैरियरों पर माह के शुरूआती दस दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन दस दिनों में एंट्री नहीं हुई तो पूरा माह बेकार। इसलिये पूरे स्टाफ को बुलाया गया है।

Updated : 31 May 2017 12:00 AM GMT
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