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सीबीएसई तय करे स्कूल में न बिकें कॉपी-किताबें व गणवेश

सीबीएसई तय करे स्कूल में न बिकें कॉपी-किताबें व गणवेश
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नई दिल्लीे | दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि बोर्ड से संबंधित स्कूल अपने परिसर में किताबों और गणवेश की बिक्री जैसी वाणिज्यिक गतिविधियों में शामिल न हों। सीबीएसई ने एक बार फिर सभी स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं कि वो कॉपी-किताबें, स्टेशनरी सामान, गणवेश आदि सामान बेचने जैसी व्यावसायिक गतिविधियों से दूर रहें और बोर्ड के नियमों का पालन करें। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ ने साथ ही कहा कि सीबीएसई ने हाल ही में इस संदर्भ में परिपत्र जारी किया है। एक याचिका की सुनवाई करते हुए पीठ ने सीबीएसई को निर्देश दिया है कि इस परिपत्र का पालन किया जाना चाहिए। साथ ही पीठ ने कहा है कि हम याचिका का निपटारा करने के साथ ही सीबीएसई को निर्देश देते हैं कि वह सुनिश्चित करे कि संस्थान कानून सम्मत तरीके से परिपत्र को लागू करे।

सामाजिक कार्यकर्ता सुनील पोखरियाल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया है, जिसमें स्कूलों द्वारा गणवेश आदि बेचने को रोकने की मांग की गई थी। 19 अप्रैल को जारी किए गए परिपत्र में बोर्ड ने स्कूलों को चेताया था कि शिक्षण संस्थान व्यावसायिक संस्था नहीं है और उनका उद्देश्य अच्छी शिक्षा प्रदान करना है। बता दें कि पिछले कई सालों से स्कूलों की ओर से किताबें, गणवेश बेचे जाने का विरोध किया जा रहा है और आरोप है कि स्कूल ज्यादा दाममें यह सामान बेचती हंै। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) अब साल में सिर्फ एक बार सीटेट का आयोजन करेगा। पहली कक्षा से आठवीं तक के शिक्षकों की भर्ती के लिए इस समय साल में दो बार केंद्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया जाता है। सीबीएसई ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अपने फैसले की जानकारी दे दी है। बोर्ड का कहना है कि जेईई-मेन और नीट सहित कई अन्य परीक्षाओं के चलते उस पर बहुत ज्यादा बोझ बढ़ गया है।

Updated : 3 May 2017 12:00 AM GMT
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