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सांड के मारने से घायल वृद्धा की मौत

सांड के मारने से घायल वृद्धा की मौत
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-अंतिम संस्कार के लिए इकलौते पुत्र ने कराया इंतजार
-हे भगवान हमारी मां का क्या कसूर था

ग्वालियर| हमाई अम्मा तो मंदिर जा रही हती, और सांड ने उठाकर पटक दओं। 13 दिन इलाज के बाद भी हम अपई अम्मा ए नहीं बचा सके। हे भगवान हमाई अम्मा का क्या कसूर हतो,जो हमे उनसे छीन लओ। यह दर्द उस बेटी का है जिसकी वृद्ध मां को 13 दिन पहले नाकाचन्द्र वंदनी क्षेत्र में एक आवारा सांड ने उठाकर पटक दिया था। सांड के हमले से घायल वृद्धा की बीती शाम मौत हो गई। एक ओर जहां वृद्धा का शव घर में पड़ा था, वहीं उसका इकलौता पुत्र अपनी मां के अंतिम संस्कार के नखरे दिखा रहा था। बाद में पड़ोसियों और नाते रिश्तेदारों के समझाने के बाद पुत्र मुखग्नि देने के लिए राजी हुआ। शहर में नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे आवारा सांड पकड़ो अभियान के बाद भी सड़कों पर मदमस्त सांड लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। नगर निगम द्वारा सैकड़ों सांड पकड़ने जाने के बाद भी शहर में सांडों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे ही एक आवारा सांड ने नाकाचन्द्रवदनी क्षेत्र में एक वृद्धा को मौत के घाट उतार दिया।

नाकाचन्द्रवदनी क्षेत्र के दुर्गेशपुरी में रहने वाली रामप्यारी कुशवाह उम्र 80 वर्ष अपनी बेटी फूलवती कुशवाह के यहां बीते 10 सालों से रह रही थी। रामप्यारी अपना गुजारा नाकाचन्द्रवदनी क्षेत्र के पास बने हनुमान मंदिर के पास पुड़िया की दुकान लगाकर करती थी। लेकिन 5 मई की शाम को जब रामप्यारी अपनी दुकान बंद कर घर वापस लौट रही थी, तभी एक आवारा सांड ने 5 मई की शाम को रामप्यारी को लभेड़पुरा की गली के पास पटक दिया। जिससे रामप्यारी कुशवाह गंभीर रूप से घायल हो गई। हादसे का पता चलते ही आस-पास के राहगीरों ने रामप्यारी की बेटी फूलवती को इस मामले की जानकारी दी। जिसके बाद वह तुरंत आनन फानन में उन्हें इलाज के लिए सर्वोदय हॉस्पीटल ले गई। जहां पर चिकित्सकों ने दवा देकर फूलवती से कहा कि आप अपनी मां को घर पर ले जाओ, चोट काफी लगी हुई है और जहां पर चोट लगी है वहां पर आॅपरेशन नहीं किया जा सकता। जिसके बाद फूलवती अपनी मां का इलाज कराकर घर ले आई व पास के ही एक निजी चिकित्सक से अपनी मां का इलाज करवाती रही। लेकिन बीती शाम को रामप्यारी ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। रामप्यारी की मौत के बाद फूलवती बस एक ही बात कह रही थी,कि मेरी मां का क्या कसूर था भगवान जो उसे सांड ने मार दिया। फूलवती ने बताया कि उसकी मां उसके पास लगभग 10 सालों से रह रही थी। रामप्यारी का एक बेटा भी है, लेकिन वह अपनी मां को अपने पास नहीं रखता था। जिसके चलते फूलवती के पास ही उसकी मां रहती थी। बुधवार की शाम को जब फूलवती ने रामप्यारी की मौत का संदेश अपने भाई को भेजा तो वह एक भी बार नहीं आया। जिसके बाद नाते रिश्तेदारों के कहने पर रामप्यारी के बेटे ने मुखाग्नि दी। अपनी मां की मौत के बाद से दुखी फूलवती ने बस इतना ही कहा कि अगर नगर निगम ने सांड पकड़ लिया होता तो शायद आज उसकी मां जिंदा होती।

एक बार भी अपनी मां को देखने नहीं पहुंचा बेटा
13 दिन पहले आवारा सांड ने रामप्यारी कुशवाह को पटककर घायल कर दिया था। रामप्यारी अपनी बेटी फूलवती के यहां ही रहकर पास के चिकित्सक से इलाज करवा रही थी। लेकिन रामप्यारी का बेटा एक भी बार अपनी मां को देखने तक नहीं पहुंचा।


जहां से सूचना मिलती है वहीं पहुंचता है अमला
शहर में आवारा पशुओं के चलते हो रहे हादसे के बाद भी नगर निगम प्रशासन चेता नहीं है। बीते रोज सांड की टक्कर से वृद्धा की हुई ,मौत के बाद भी निगम प्रशासन की नींद नहीं खुली है। सड़कों पर जगह जगह आवारा पशुओं का जमावड़ा देखा जा सकता है। जिसके चलते फिर कोई बड़ा हादसा हो सकता है। हालांकि इन आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए निगम का अमला अलग से तैनात है जो केवल खानापूर्ति कर रहा है। आज भी नगर निगम का अमला केवल उन्हीं स्थानों पर सांड पकड़ने की कार्रवाई कर रहा है जहां पर शिकायत आती है। शहर में गाय, बैल, सांड एवं कुत्ते आदि आवारा जानवरों को पकड़ने के लिए निगम द्वारा मदाखलत अमले पर लाखों रुपए हर माह खर्च करती है। लेकिन समस्या जस की तस बनी है। इसका प्रमुख कारण है कि शहर में अलग अलग विभागों के अधिकारियों के बीच तालमेल का अभाव है जिसके चलते इन आवारा जानवरों के बीच से होकर आला अधिकारियों के वाहन तो गुजर जाते हैं पर कोई भी इसकी शिकायत निगम आयुक्त या अमले से नहीं करता है। जिसके चलते वह कार्रवाई के नाम पर कोरम पूरा करते हैं।

Updated : 19 May 2017 12:00 AM GMT
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