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हर विद्यार्थी को अपना आदर्श बनाना चाहिए: पवैया

हर विद्यार्थी को अपना आदर्श बनाना चाहिए: पवैया
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-माधव विधि महाविद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित
-व्यक्तित्व निर्माण के लिए विद्यार्थी ऐसी प्रतियोगिता में भाग लें: डॉ पाठक
-स्व. इंदापुरकर के जीवन का लक्ष्य व्यक्ति निर्माण था: डॉ. नीति
ग्वालियर|
हर व्यक्ति के जीवन जीने के अलग-अलग तरीके होते हैं। हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई रोल मॉडल (आदर्श) होता है। हर विद्यार्थी को भी अपना रोल मॉडल बनाना चाहिए। यह बात शनिवार को माधव विधि महाविद्यालय में स्व. माधव शंकर इंदापुरकर जी की स्मृति में अंतर महाविद्यालयीन ‘चल वैजयंती’ वाद-विवाद प्रतियोगिता के शुभारंभ सत्र में उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक ने की। इस मौके पर शासी निकाय के अध्यक्ष आनंद करारा भी मंचासीन थे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया।

‘भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए विमुद्रीकरण उचित था’ विषय पर आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में ग्वालियर चम्बल संभाग की 32 टीमों ने हिस्सा लिया, जिसमें ग्वालियर जिले के सभी विश्वविद्यालयों की टीमों ने भागीदारी की। इस मौके पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री श्री पवैया ने कहा कि अगर आप वक्ता बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तो अधूरा काम कभी मत करना। श्री पवैया ने कहा कि मंच पर खड़े होकर माइक पर एक भी शब्द वह कतर्इं नहीं बोलना, जो तुम कर नहीं सको। नहीं तो लोग ताली तो बजाएंगे और चाट खाकर जैसे दोना फैंका जाता है, वैसे ही आपको फेंक देंगे। श्री पवैया ने कहा कि महात्मा गांधी की बात हजारों किलोमीटर तक असर करती थी क्योंकि उस बात में कुछ सार होता था, इसीलिए उनको महात्मा गांधी कहा गया है। श्री पवैया ने कहा कि बोलने से पहले संबंधित विषय पर हमारी तैयारी जरूर होना चाहिए। बोलने में स्वाध्याय जरूर होना चाहिए। उस विषय पर हमारी रिसर्च भी होना चाहिए। इस दुनिया में वेद व्यास को छोड़कर कोई ऐसा विद्वान नहीं है, जो अपने गुरु व संकल्पों के बिना कुछ कर सके। श्री पवैया ने कहा कि किताबों से प्रेम करो और विषय में अपनी रुचि रखो।

श्री पवैया ने कहा कि आपके बोलने की शुरुआत ऐसी होनी चाहिए कि सामने बैठा व्यक्ति यह सोचता ही रहे कि यह आगे क्या बोलने वाला है। उस व्यक्ति में आपके शब्दों के प्रति जिज्ञासा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस विषय पर आप बोलने जा रहो हो उसका पहले से पूरा ज्ञान होना चाहिए। विषय को बोलने से पहले आप आंख बंद करके बैठो और अपने दिमाग को शून्य अवस्था में ले जाओ। अपने दिमाग से सारी दुनिया की बातें हटा दो और केवल विषय के बारे में कल्पना करो। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से उस विषय के बारे में आप में करंट आना शुरू हो जाएगा। बोलते समय हमारा रिदम टूटना नहीं चाहिए, हमें एक कड़ी की तरह बोलना चाहिए, बोलने वाले विषय के साथ न्याय करो। श्री पवैया ने कहा कि आप कभी ऐसा मत बोलो, जिसका कोई अर्थ ही न हो। उन्होंने कहा कि बोलते समय केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान रखो, मंच से यह मत देखो कि सामने बैठा व्यक्ति उस विषय के बारे में क्या धारणा बना रहा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. राकेश पाठक ने बताया कि वे विद्यालय के समय से ही वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के दीवाने रहे। हर विद्यार्थी को व्यक्तित्व निर्माण के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना चाहिए। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. नीति पाण्डेय ने बताया कि स्व. माधव शंकर इंदापुरकर ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य ही व्यक्ति निर्माण रखा था। शिक्षा भी व्यक्तित्व निर्माण का कार्य करती है। ऐसी दिव्य पावन विभूति की स्मृति में होने वाला यह शैक्षणिक मंथन निश्चित ही कोई पाथेय प्रदान करेगा, जिससे गिरती हुई शिक्षा व्यवस्था में नवजीवन का संचार होगा। नोटबंदी के पक्ष व विपक्ष में तर्कों का जबरदस्त द्वंद्व वाद-विवाद प्रतियोगिता में देखने को मिला। विमुद्रीकरण के मुद्दे पर छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

सभी विद्यार्थियों को प्रतियोगिताओं में भाग लेना चाहिए
समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में पुलिस अधीक्षक डॉ. आशीष खरे एवं वरिष्ठ अतिथि के रूप में मध्य भारत शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र बांदिल उपस्थित थे। अध्यक्षता माधव विधि महाविद्यालय शासी निकाय के अध्यक्ष आनंद करारा ने की। मुख्य अतिथि डॉ. खरे ने वाद-विवाद की प्रशंसा करते हुए कहा कि जीवन में शिक्षा के साथ-साथ चहुंमुखी विकास के लिए सभी विद्यार्थियों को इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में भाग लेना चाहिए। वरिष्ठ अतिथि डॉ. बांदिल ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस प्रतियोगिता में भागीदारी से भले ही पुरस्कार प्राप्त न हो, लेकिन अनुभव जैसा बहुमूल्य पुरस्कार प्राप्त होता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री करारा ने उत्कृष्ट एवं भव्य प्रतियोगिता के लिए सभी प्रतिभागियों एवं माधव विधि महाविद्यालय परिवार को धन्यवाद ज्ञापित किया।

ये रहे निर्णायक के रूप में उपस्थित
प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में एम.एल.बी. महाविद्यालय के विधि के पूर्व प्राध्यापक डॉ. सुभाष शर्मा, डॉ. ए.के. वाजपेयी, डॉ. रविकांत अदालतवाले उपस्थित थे। दोपहर 12.30 बजे से लेकर शाम छह बजे तक चली इस वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार एम.एल.बी. महाविद्यालय के छात्र शुभम शर्मा, द्वितीय पुरस्कार के.आर.जी. महाविद्यालय की छात्रा कु. प्रतिभा चौहान एवं तृतीय पुरस्कार एम.एल.बी. महाविद्यालय की छात्रा राधा शर्मा को मिला। प्रथम सांत्वना पुरस्कार माधव विधि महाविद्यालय के छात्र आदित्य प्रताप सिंह एवं द्वितीय सांत्वना पुरस्कार संयुक्त रूप से आलोक त्यागी (शासकीय विज्ञान महाविद्यालय) एवं अनुकृति पटेरिया (एमिटी विधि विश्वविद्यालय) को दिया गया। चल वैजयंती महारानी लक्ष्मीबाई महाविद्यालय को प्रदान की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ममता मिश्रा एवं अमित बंसल ने किया। इस अवसर पर मध्य भारत शिक्षा समिति के सभी सदस्य गण सदाशिव राव इंदापुरकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत सह कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर, डॉ. गणेश दुबे, डॉ. पूजा गुप्ता, डॉ. अंजुली चौहान, डॉ. हेमंत गर्ग, देवदत्त मिश्रा, आकाश गुप्ता, डॉ. प्रबलप्रताप सिंह आदि उपस्थित थे।

Updated : 2 April 2017 12:00 AM GMT
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