Home > Archived > आॅनलाइन सुनवाई से परेशानी हुई कम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समय की बचत

आॅनलाइन सुनवाई से परेशानी हुई कम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समय की बचत

आॅनलाइन सुनवाई से परेशानी हुई कम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समय की बचत
X

ग्वालियर,न.सं.। एक अप्रैल को जिला न्यायालय और केन्द्रीय जेल में शुरू हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा से न्यायाधीश,कैदी और पुलिस सभी संतुष्ट हैं। कारण सभी के समय की बचत और खतरनाक अपराधियों को लाने-ले जाने की पुलिस की झंझट अब खत्म हो गई है। अब तक लगभग चार सैंकड़ा से ज्यादा कैदी-बंदियों की आॅनलाइन सुनवाई हुई है। जिससे न्यायिक कार्य करने वाले सभी अधिकारियों को राहत मिल रही है। एक वरिष्ठ अधिवक्ता बताते हैं कि आने वाले दिनों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा को और ज्यादा उन्नत बनाया जाएगा और इससे ज्यादा से ज्यादा आॅनलाइन पेशी और निर्णय लिए जा सकेंगे।

बता दें कि एक अप्रैल को जिला सत्र न्यायालय और केन्द्रीय कारागार के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा का शुभारंभ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ग्वालियर खण्डपीठ के प्रशासनिक न्यायाधिपति एन के गुप्ता ने किया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा प्रारंभ हो जाने से प्रकरणों की सुनवाई की प्रक्रिया को गति मिलेगी।

प्रकरणों की रोज सुनवाई से हो रही राजस्व की बचत
जानकारी के अनुसार जिला न्यायालय में इससे पहले जेल से रोजाना कैदी और न्यायिक हिरासत में बंद बंदियों को लाने और ले जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। कई बार पेशी में आए आरोपियों को अदालत में सजा का निर्णय सुनाने के बाद आरोपी न्यायिक अभिरक्षा से हथकड़ी तोड़कर फरार हो जाते थे। इसमें पुलिस की बदनामी तो होती ही थी वहीं भागने का अलग से थाने में मामला दर्ज होने से संबंधित थाना पुलिस की सिरदर्दी बढ़ जाती थी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा से खतरनाक कैदियों को लाने-जाने की परेशानी समाप्त हो गई है। जिला न्यायालय में स्थित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष में बिना किसी शोर-शराबे से मामलों में न्यायाधीशों द्वारा निर्णय दिया रहा है।

सबसे ज्यादा अपराध के मामले
एक अप्रैल से लेकर अब तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा द्वारा सबसे ज्यादा अपराध के प्रकरण की सुनवाई हो रही है। इसमें छोटे अपराध से लेकर हत्या और डकैती के मामलों में जेल में बंद कैदियों और बंदियों को अपनी बात कहने का मौका दिया जा रहा है। वहीं न्यायालय द्वारा उन्हें विधिक सहायता और इसकी जानकारी भी दी जा रही है।

14 दिन में ढाई लाख की बचत
न्यायालय के एक कर्मचारी ने अनाम रहने की शर्त पर बताया कि पिछले 14 दिन में लगभग ढाई लाख रुपए के सरकारी खजाने की बचत हुई है। इसमें वाहन,अतिरिक्त जवानों की तैनाती और अन्य खर्च भी शामिल हैं। सबसे खास बात यह है कि मात्र कुछ मिनटों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सुनवाई हो जाती है। इससे जल्द से जल्द मामलों का निपटारा हो रहा है। दूसरी तरफ छोटे अपराधों में शामिल बंदियों को भी न्यायाधीश द्वारा अधिवक्ता न होने पर जेलर को विधिक सहायता देने के निर्देश दिए जा रहे हैं। जमानत के लिए आवदेन प्रस्तुत करने के निर्देश दे रहे हैं।

Updated : 14 April 2017 12:00 AM GMT
Next Story
Top