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साधुओं के प्रयासों से अब गौधाम नजर आने लगी है गौशाला

साधुओं के प्रयासों से अब गौधाम नजर आने लगी है गौशाला
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सुधरने लगी गौशाला की दशा,गायों को मिल रहा है भरपेट चारा
प्रशांत शर्मा/ग्वालियर।
लाल टिपारा स्थित गौशाला की देखरेख का जिम्मा जबसे साधु संतो ने अपने हाथ में लिया है तब से धीरे-धीरे अब गौशाला की हालत में सुधार होने लगा है। लेकिन उसके बाद भी गौशाला में अभी गायों की सुविधा के लिए कई अन्य जरूरी कार्य होना शेष है।

गौशाला की देख रेख करने वाले साधु संत अब इन व्यवस्थाओं को भी पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। नगर निगम की देखरेख में चलने वाली इस गौशाला की हालत आज से कुछ माह पहले बद से बदतर हो चुकी थी। यहां बंद गायों की अकाल मौत हो रही थीं, तो कई गाय बीमारी की हालत में मरणागत स्थिति तक पहुंच गई थीं। नगर निगम का अमला गौशाला की दशा सुधारने में और गायों की देखरेख करने में नाकाम सिद्ध हो रहा था। तभी हरिद्वार की साधु संतो की एक टोली ने गौशाला की दशा सुधारने का बीड़ा उठाया। पिछले दो माह से साधु संतो द्वारा गौशाला की देख रेख की जा रही है तब से यहां की व्यवस्थाओं में धीरे-धीरे सुधार होता जा रहा है। साधुओं के कठिन परिश्रम से अब गौशाला अब गौधाम नजर आने लगी है।

नगर निगम की गौशाला में गायों की बदहाली किसी से छिपी नहीं थी। लेकिन पिछले दो माह में गौशाला की सूरत बदल गई है। हरिद्वार से आए श्रीकृष्णायन गौशाला के संतों ने दिन रात मेहनत करके गौशाला में विभिन्न निर्माण कार्य कराए। साथ ही गायों को दोनों समय भोजन पानी उपलब्ध कराने की व्यवस्था की। गायों को धूप के साथ छांव भी मिल सके, इसके लिए संत अज्युतानंद महाराज ने अपने निर्देशन में खनोटे बनवाए और गौशाला के टूटे-फूटे टीन शेडों की मरम्मत के प्रयास भी किए। जिससे आज गायों की हालत में काफी सुधार हुआ है।

हनुमान जयंती पर 101 गायों के गले में बांधी घंटी
मंगलवार को हनुमान जयंती के अवसर पर साडा अध्यक्ष राकेश जादौन द्वारा लाल टिपारा स्थित गौशाला में रहने वाली 101 गायों के गले में घंटी बांधी गई। उन्होंने कहा कि इन गायों के गले में घंटी बांधने से अन्य गायों को आनंद की अनुभूति होगी।

बीमार होने पर तुंरत मिलता है इलाज
गौशाला में अगर कोई गाय या बछड़ा बीमार होता है तो उसका उपचार तुंरत किया जाता है। यहां तक कि शहर से अगर कोई गाय घायल होकर आती है तो उन गायों का इलाज भी यहां पर चिकित्सकों द्वारा किया जाता है।
सभी गायों के बैरक अलग
गौशाला में सभी गायों के अलग-अलग बैरक बनाए गए हैं। जिसमें सांड नांदिया, कमजोर गाय, वृद्ध गाय, ग्यावन गाय, दूध वाली गाय, बीमार गाय, घायल गाय व खिड़क गायों को अलग-अलग स्थानों पर रखा गया है।
गाय के दूध से बनता है प्रसाद
जब से गौशाला की कमान साधु संतों ने संभाली है तब से गौशाला में 140 दूध देने वाली गायों के दूध से गौशाला में आने वाले लोगों के लिए प्रसाद वितरित किया जाता है।
बच्चों के जन्मदिन पर करते हैं दान
जब से साधु संत गौशाला में पहुंचे हैं तब से यहां पर गायों को देखने के लिए शहर के लोग भी काफी संख्या में पहुंचकर गायों की सेवा करते हैं। यहां तक कि अब तो गौशाला में लोग अपने जन्मदिन,परिजनों की पुण्यतिथि, शादी की वर्षगांठ एवं अपने बच्चों के जन्मदिन पर गायों के भोग की व्यवस्था करते हैं।

चार हजार गाय हैं गौशाला में
नगर निगम की गौशाला में करीब चार हजार गाय वर्तमान में है, लेकिन इनमें से अभी 140 गाय दूध दे रही हैं। हालांकि अभी भी गौशाला में बहुत कार्यों की आवश्यकता है। जो संतो द्वारा पूरे कराए जा रहे हैं। साथ ही गौशाला को सुधारने में नगर निगम आयुक्त अनय द्विवेदी ने भी अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी है। आज गायों को समय पर भोजन मिलने से गायों की सेहत में भी सुधार आया है। साथ ही बीमार गाय भी अब भली चंगी हो रही हैं।

गौशाला में दिखने लगा फर्श
जिस गौशाला को लेकर रोज बवाल मचता था अब वहां की स्थिति में चमत्कारिक सुधार हैं। गौशाला में अब साफ सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है, जहां एक से डेढ़ फुट गोबर की गंदगी बिछी रहती थी अब वहां साफ सफाई के चलते फर्श दिखने लगा है। गायों को दोनों समय हरा चारा, चरी लूशन के साथ दाना मिल रहा है। चारा काटने की मशीनें भी चालू हो गई है, जिससे गायों को भरपेट चारा मिल रहा है।

Updated : 12 April 2017 12:00 AM GMT
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